Thursday 19 December 2013

कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत-


कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत |
हिल्ले रोजी कह रहे, कहें बहाने मौत |

कहें बहाने मौत, बनी है निर्णय-कर्ता |
करता कोई और, और कोई है भरता |

खबरंडी व्यवसाय, करे धन-दौलत हासिल |
स्वयं रहा हित साध, मीडिया कितना कातिल ||

Wednesday 18 December 2013

तीस फीसदी वोट पा, करे आप व्यभिचार -

रायशुमारी फिर करें, दे सन्देश नकार |
तीस फीसदी वोट पा, करे आप व्यभिचार |

करे आप व्यभिचार, तवज्जो पुन: सभा को |
आप बड़े बेचैन, जरा अंतर्मन झांको |

फिक्स किया है गेम, किन्तु नौटंकी जारी |
बना नहीं सरकार, बताती रायशुमारी || 

Monday 16 December 2013

पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना -

काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन |
सहमत हम सब मतलबी, प्यासे कब से नैन |

प्यासे कब से नैन, सात सौ लीटर पानी |
गै पानी मा भैंस, शर्त की की नादानी |

सत्ता को अब तलक, मात्र मारा है ताना |
पाय खुला भू-फलक, नहीं अब "आप" छकाना |

डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी-

टोपी बिन पहचान में, नहीं आ रहे आप |
लगे अवांछित आम जन, अपना रस्ता नाप | 

अपना रस्ता नाप, शाप है धरती माँ का |
बको अनाप-शनाप, भिड़ेगा तब ही टाँका |

चतुर करेगा राज, होय चाहे आरोपी |
डुबकी आप लगाय, लगा लो बस यह टोपी ||

Sunday 15 December 2013

दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय-



आशा अपने राम को, नारायण आशीष । 
खड़ा बड़ा साम्राज्य हो, दर्शन की हो फीस । 
जोड़े रकम अकूत । 
नाम करेगा पूत ।। १॥ 

राहु-केतु लेते चढ़ा, खींच खींच आस्तीन । 
दोष दूसरे पर मढ़े, दंगाई तल्लीन ।  
जीते पर यमदूत । 
नाम करेगा पूत ॥ २॥ 

छींका टूटा भाग्य से, बिल्ली गई अघाय । 
दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय । 
दिखे आप मजबूत। 
नाम करेगा पूत ॥ ३॥ 

अनशन पर आये नहीं, यद्दपि ज्यादा लोग । 
लोकपाल पर आ गया, बढ़िया यह संजोग । 
रविकर कर करतूत । 
नाम करेगा पूत ॥ ४ ॥ 

कुंडलियां 
(1)
पापा कहते हड़बड़ा, नाम करेगा पूत |
गली मुहल्ला घर त्रसित, असहनीय करतूत |
असहनीय करतूत, शिकायत हर दिन आये |
तोड़-फोड़ खिलवाड़, फटे में टांग अड़ाए |
तोड़ा रेस्टोरेंट, जला के चौखट तापा |
बड़ा करेगा नाम, बोल बैठे तब पापा ||

(2)

लेना-देना भूलता, कुछ व्यवहारिक ज्ञान |
कूट कूट लेकिन भरा, बेटे में ईमान |

बेटे में ईमान, खड़ा दुविधा का रावण |
टाले कुल शुभकर्म, कराये  अशुभ अकारण |

घटी तार्किक बुद्धि, जगत देता है ठेना |
किन्तु करेगा नाम, कभी ईमान खले ना ॥ 

वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे

१६ दिसम्‍बर क्रान्ति

Vikesh Badola 

कौंधे तीखे प्रश्न क्यूँ, क्यूँ कहते हो व्यर्थ |
जीवन के अपने रहे, सदा रहेंगे अर्थ |

सदा रहेंगे अर्थ, रहेगी मनुज मान्यता |
बने अन्यथा देव, यही है मित्र सत्यता |

सदाचार है शेष, अन्यथा गिरते औन्धे |
वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे ||

Saturday 14 December 2013

वोट-बैंक में वृद्धि हित, लगे रात-दिन आप-

प्रोपेगंडा कर रहे, शर्त अनाप-शनाप |
वोट-बैंक में वृद्धि हित, लगे रात-दिन आप |

लगे रात दिन आप, पिछड़ती जाए दिल्ली |
देखो छींका टूट , भाग्यशाली यह बिल्ली |

इक इमान की बात, बनाया बढ़िया फण्डा |
नहीं करेंगे काम, करेंगे प्रोपेगंडा ||

Thursday 12 December 2013

मतदाता का स्वार्थ, किन्तु अब बड़ी त्रासदी-

लालच में जन-गण फंसे, बिजली पानी मुफ्त |
इत पंजे से त्रस्त मन, उत मंसूबे गुप्त |

उत मंसूबे गुप्त, इकट्ठा तीस फीसदी |
मतदाता का स्वार्थ, किन्तु अब बड़ी त्रासदी |

दिल्ली बिन सरकार, यही हर दिन की कच-पच | 
वायदे तो भरपूर, पूर कर रविकर लालच |

(1)
कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ पर, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |

नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट  ^ कूलेंट 

गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||

इनसे तो वे ठीक, बने जो आधे पौने -


राम-भरोसे चल पड़े, फैलाने सुविचार । 
धर्म-विरोधी ले उठा, हाथों में हथियार ।

हाथों में हथियार, कर्म तो गजब-घिनौने । 
इन सब से वे ठीक, बने जो आधे-पौने । 

धर्म न्याय विज्ञान, भूमि भी इनको कोसे । 
दुनिया यह तूफ़ान, झेलती राम-भरोसे ॥ 

क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....







केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |

गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |

सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
गेगले=*मूर्ख 
गेंदुल=चमगादड़ 
गेंगटे=केकड़े 

समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं

Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |
कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय |

कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा |
पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा |

पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर |
गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||

Tuesday 10 December 2013

करें इशारा आप, बैठ रेडी मधु-कोड़ा

कोड़ा की दरकार थी, दे कोड़ा फटकार |
आये सब औकात में, झाड़ू का आभार |

झाड़ू का आभार, कमल नैनों में गरदा |
पंजे की दरकार, हटा दे पीला परदा |

नहीं बने सरकार, भानुमति कुनबा जोड़ा |
करें इशारा आप, खड़ा रेडी मधु-कोड़ा ||

Monday 9 December 2013

तेरह दिन की लो बना, एक वोट से हार-

तेरह दिन की लो बना, एक वोट से हार |
दुहराये इतिहास को, पाये पुन: अपार |

पाये पुन: अपार, कमल को पाला मारे |
ताल तलैया सूख, नर्मदा आती द्वारे |

बच जाते बत्तीस, पार्टी आगे जिनकी |
वह ही जिम्मेदार, बना लो तेरह दिन की ||

सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना -


लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |

मानो सीट पचास,  इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |

अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||

Saturday 7 December 2013

संजय की मान्यता पर, दुनिया करे बवाल-

Actor Sanjay Dutt gets 30-day parole reason wife unwell but is she unwell

SM 



 संजय की मान्यता पर, दुनिया करे बवाल  |
देखो अब धृतराष्ट्र का, आँखों देखा हाल |

आँखों देखा हाल, जब्त ए के सैतालिस |
सैतालिस से राष्ट्र,  कर रहा मक्खन-पॉलिश |

सैंया भे कुतवाल, बात फिर कैसे भय की |
किये बाप ने पुण्य, जमानत हो संजय की |

Thursday 5 December 2013

बने रेप का केस, अगर आपस में टेंशन-

लिव-इन रिलेशन ले बना, मना रे-मना मौज |
लड्डू की अब फ़िक्र क्या, खा बादामी *लौज |

खा बादामी लौज, तरुण धोखा मत खाना |
रविकर कहता नौज, नहीं मुँह कभी फुलाना |

बने रेप का केस, अगर आपस में टेंशन |
देखे भारत देश, चट-पटा लिव-इन रिलेशन ||

लौज =मिठाई 
 नौज=ईश्वर न करे

Wednesday 4 December 2013

भूल जाय दुष्कर्म, भक्त की चेते सेना-


(1)
पेशी साईँ की इधर, फूल बिछाते फूल |
सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल |

साईँ करो क़ुबूल, किन्तु नहिं जुर्म कबूला |
झोंक आँख में धूल, सतत दक्षिणा वसूला |

बेशक नारा ढील, किन्तु फॉलोवर वेशी |
भागा लाखों मील, हुई दिल्ली में पेशी ||


(2)
सेना जब नारायणी, दुर्योधन के संग |
टिका रहे कुरुक्षेत्र में, कामी संत मलंग |

कामी संत मलंग, अंग से अंग लगाये |
किन्तु करे न जंग, व्यर्थ बहुरुपिया धाये |

गदा उठा ले भीम, कमर के नीचे देना |
भूल जाय दुष्कर्म, भक्त की चेते सेना ||

Tuesday 3 December 2013

मरने की खातिर पुलिस, रोक सके के क़त्ल-


मरने की खातिर पुलिस, रोक सके के क़त्ल |
बनती नीति नितीश की, देखो सी एम् शक्ल |

देखो सी एम् शक्ल, हाथ पर हाथ धरे हैं-
हो हत्या अपहरण, नक्सली घात करे हैं |

नहीं रहा जूँ रेंग, हिलाया नहीं खबर ने |
सी एम् देते छोड़, पुलिस-पब्लिक को मरने ||

लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये-
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |

पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |

बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||


नक्सल आतंकी कहीं, फिर ना जायें कोप |
शान्ति-भंग रैली करे, सत्ता का आरोप |

सत्ता का आरोप, निभाता नातेदारी |
विस्फोटक पर बैठ, मस्त सरकार बिहारी |

दशकों का अभ्यास, सँभाले रक्खा भटकल |
रैली से आतंक, इलेक्शन से हैं नक्सल ||

रविकर करता गौर, दाहिने रख पत्नी को-

(1)
पत्नी को भी छूट हो, अलग बिताये पाख |
प्रेमी प्यारा तड़पता, लगी दाँव पर साख |

लगी दाँव पर साख, दाख अब तो नहिं खट्टे |
राम राम इस पाख, श्याम फिर बोले पट्टे |

उपपत्नी का दौर, भाग्य से टूटो छींको |
रविकर करता गौर, दाहिने रख पत्नी को || 

(2)
बामांगी वह थी कभी, अभी दाहिनी ओर | 
दुगुनी दिल की कोठरी, खाली बायाँ छोर |

खाली बायाँ छोर, ख़ुशी का मौसम आया |
भेजा कल पैगाम, उसे भी पास बुलाया |

लेकिन पीटे माथ, हुआ रविकर एकांगी |
घंटा घंटा बाँट, करे टोटे बामांगी ||
पीड़ित आये सामने, होता है गर रेप |
भंग नहीं कौमार्य हो, क्या लज्जा क्या झेंप |
क्या लज्जा क्या झेंप, छेड़ना नहीं छोड़ता |
पुरुष गया है *खेप, चला विश्वास तोड़ता |
रविकर करनी भोग, कर्म कर बैठा घृणित |

डूबे पुरुष समाज, चीखते हर दिन पीड़ित ||

Monday 2 December 2013

कर लो पुनर्विचार, पुलिस नित मुंह की खाये-

पाये कटक कमान तो, ताने विशिख कराल |
भूले लेवी अपहरण, भूले नक्सल चाल |

भूले नक्सल चाल, बंद हो जाये हमला |
फिर गांधी मैदान, बनेगा नहीं कर्बला |

कर लो पुनर्विचार, पुलिस नित मुंह की खाये | 
नक्सल रहा डकार, नहीं जनता जी पाये ||

Sunday 1 December 2013

यादें सुखद अतीत की, उज्जवल दिखे भविष्य -

हथेली में तिनका छूटने का अहसास

समय की मृत्‍यु


संतरी, पीले, भूरे, लाल रंग से 
सजा क्षितिज


यादें सुखद अतीत की, उज्जवल दिखे भविष्य |
वर्त्तमान की क्या कहें, भटके चंचल *ऋष्य |

भटके चंचल *ऋष्य, दृश्य दिखता है मारक |
थामे विशिख कराल, खड़ा सम्मुख संहारक |

यह रहस्य है गूढ़, तवज्जो इनपर ना दे |
वर्त्तमान को बूझ, याद रख बढ़िया यादें-
*विशेष मृग