tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post6965896598956673968..comments2023-11-05T03:09:01.854-08:00Comments on रविकर की कुण्डलियाँ: तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक-रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-63219033833983456602013-01-04T10:29:06.382-08:002013-01-04T10:29:06.382-08:00कई बार टिप्पणी लिख चुका हू किन्तु लिखी ही नही जा र...कई बार टिप्पणी लिख चुका हू किन्तु लिखी ही नही जा रही पब्लिस करने पर खाली हो जाती है <br />आपका आज का लेख बहुत ही अच्छा है आज की इन कुण्डलियों को मैने अपने समाचार पत्र डिबाई दैनिक प्रभात पर सम्पादकीय में स्थान दिया है साथ ही आपका लिंक लगाया है आकर देखे http://debaicity.blogspot.in/ और आपसे अनुरोध है कि हमारे पत्र के लिए भी कुछ न कुछ लिख कर हमे अनुग्रहीत करें.आपका छोटा भाई <br /> ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेयGyanesh kumar varshneyhttps://www.blogger.com/profile/09360031175151749460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-45642797164364678472013-01-04T05:30:26.283-08:002013-01-04T05:30:26.283-08:00नमन इस पोस्ट के लिए...
सादर
अनु नमन इस पोस्ट के लिए...<br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com