tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post1687738399705403899..comments2023-11-05T03:09:01.854-08:00Comments on रविकर की कुण्डलियाँ: जीवन-यात्रा : माताजी की जयरविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-9393927875281726122011-06-20T22:10:28.818-07:002011-06-20T22:10:28.818-07:00हाँ दी!
सोचा कुछ ऐसा ही है |
जीवन पर अनगिनत महान-...हाँ दी! <br />सोचा कुछ ऐसा ही है |<br />जीवन पर अनगिनत महान-आत्माओं के अनगिनत उपकार हैं |<br />उन्हें एकबार फिर याद करने का उपक्रम है ये, <br />दोहों की रचना सीखना तो एक बहाना मात्र है. <br />हाँ, शुरू में लगता था की क्या फ़ालतू विषय <br />चुन लिया है पर अब आनन्द आरहा है --<br />इसी बहाने छोटी बड़ी घटनाएं याद आ रही हैं |<br />कुछ भी बनावटी नहीं --सब कुछ सत्य --एकदम सत्य ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-13564109959290732112011-06-20T21:51:55.782-07:002011-06-20T21:51:55.782-07:00पुरी ज़िंदगी ही उतार रहे हैं इन दोहों में ...पुरी ज़िंदगी ही उतार रहे हैं इन दोहों में ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com