tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post7222938061431803428..comments2023-11-05T03:09:01.854-08:00Comments on रविकर की कुण्डलियाँ: डा।. अनवर विवाद / रविकर क्षमा-प्रार्थी : मेरे द्वारा डाला गया घी देखिये, जिसने आग भड़काई --रविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-61503428514191957692012-07-10T03:44:03.015-07:002012-07-10T03:44:03.015-07:00baat cheet aap ne shuru ki aur deepak baba kii mai...baat cheet aap ne shuru ki aur deepak baba kii mail kae baad aap ne mujhae mail dii <br /><br />maenae jo kehaa wo hamesha kehtii hun agar hindu inko sar naa chadhyae to yae apnae aap hi sudhar jaaye <br /><br />bajaaye baat ko kahtam karnae kae aap usko badhaatey jaa rhaey haen jabki baaki log bahishkaar ki baat kar rahey haen <br /><br />aap ek baar soch lae aap khud kyaa chahtey haenरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-26616563359737898762012-07-10T03:22:53.761-07:002012-07-10T03:22:53.761-07:00रचना जी से जो बातचीत हुई / मतलब जिसमें उन्होंने मु...रचना जी से जो बातचीत हुई / मतलब जिसमें उन्होंने मुझे सिखाया की हिन्दू धर्म का मखौल उड़ाया जा रहा है-और जिसमें मैंने तथाकथित क्षमा मांगी | दाहिनी ओर ४ दिन पूर्व दिखा रहा है |<br />डा.अनवर से जो निवेदन किया वह २ दिन दिखा रहा है -<br /><br />मतलब यह कि मैंने अपनी ओर से विवाद ख़त्म करने की पुरजोर कोशिश की |<br /><br />क्षमा भी मांगी-<br /><br />और हाँ ,<br />मेरी विनम्रता को जो लोग दीनता समझ बैठे हैं वो मूर्ख मुझे न समझें |<br /><br />१९८३ आदर्श कालेज पठानकोट में RSS के OTC का प्रथम वर्ष का<br />१९८६ में सरस्वती विद्यामंदिर निराला नगर लखनऊ में द्वितीय वर्ष<br />१९९६ रेसिम बाग़ नागपुर में तृतीय वर्ष ||<br /><br />कृपया हिंदुत्व न सिखाएं-<br />सुविधाजनक वर्गीकरण करना मानव स्वभाव है-<br />गलती न होते हुवे भी क्षमा मांगता रहा |<br />परन्तु ---रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-66727068178958145812012-07-10T02:26:25.622-07:002012-07-10T02:26:25.622-07:00अनजाने ही डाल बैठा, दूध में गरम मसाला।
जाने कौन घड़...अनजाने ही डाल बैठा, दूध में गरम मसाला।<br />जाने कौन घड़ी में पड गया पढ़े लिखों से पाला।<br />ठगों-धूर्तों से हुआ हलाल……<br />छोरा गंगा किनारे वाला…सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-18784792320140615222012-07-09T07:13:53.662-07:002012-07-09T07:13:53.662-07:00@ मेंरे नाम की सीढ़ी बना कर पोपुलर होने का फंडा पु...@ मेंरे नाम की सीढ़ी बना कर पोपुलर होने का फंडा पुराना हैं |<br /><br />सरीफ बन्दा हूँ |<br />ऐसा कोई घिनौना काम मैं नहीं कर सकता ||<br /><br />सादर-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-35928818092598712952012-07-09T07:10:44.521-07:002012-07-09T07:10:44.521-07:00जी |
आपका आदेश सर-आँखों पर |
आपने जो जो कहा मैंने...जी |<br />आपका आदेश सर-आँखों पर |<br /><br />आपने जो जो कहा मैंने किया |<br /><br />डा anvar से भी निवेदन किया-पोस्ट हटाने के लिए-<br />वह बातचीत भी daal दी है ||<br />saadar ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-55763652741478995312012-07-08T22:42:10.097-07:002012-07-08T22:42:10.097-07:00रविकर जी,
यहाँ जो दिखता\लगता है जरूरी नहीं वो वैस...रविकर जी, <br />यहाँ जो दिखता\लगता है जरूरी नहीं वो वैसा ही हो|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-18221793735281290162012-07-08T22:19:17.154-07:002012-07-08T22:19:17.154-07:00अभी इससे पहले वाला प्रकरण भी डाल दे वो क्यूँ रह गय...अभी इससे पहले वाला प्रकरण भी डाल दे वो क्यूँ रह गया<br />फिर वो मेल भी डाल दे जहां आपने मुझ से संपर्क किया और मुझे बधाई दी की मैने बड़ा अच्छा काम किया " इन के खिलाफ लिख कर " ये भी लिखे की मेल आप ने दी , शाबाशी आप ने दी और इनको आप नहीं जानते हैं , ब्लॉग जगत में नये हैं , ये सब आप ने लिखा<br />मैने आप की मेल का महज जवाब दिया और फिर वो भी लिखे की दीपक बाबा ने आप को बताया की कैसे महिला के चित्रों को डाला गया और फिर वो मेल आप ने मुझे फॉरवर्ड कर के मुझ से क्षमा मांगी<br />ये सब लिखने के बाद लिखे की मेरे आग्रह पर आप ने वो सब डिलीट कर दिया<br />पिक्चर पूरी दिखाये मेरे दोस्त , अधूरी क्यूँ<br />और भी बहुत कुछ मेल में था जो आप ने और मैने एक दूसरे से कहा वो सब भी लिख दे<br />उनके ब्लॉग पर जा कर आप nice लिखते हैं , लिखे मुझे क़ोई आपत्ति नहीं हैं<br />पर मेरा रेफरेंस दे तो पूरे तथ्य के साथ दे अन्यथा ना ही दे<br />मेरे नाम की सीढ़ी बना कर पोपुलर होने का फंडा पुराना हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-52173047722909987602012-07-08T22:11:38.928-07:002012-07-08T22:11:38.928-07:00ख़िज़ां से छीन के अब नक़्दे-गुल शुमार करे,
कहो स...ख़िज़ां से छीन के अब नक़्दे-गुल शुमार करे,<br />कहो सबा से बहारों का कारोबार करे।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-40834318848072940362012-07-08T21:48:13.478-07:002012-07-08T21:48:13.478-07:00ख़ुदा रखे वही एक राज़दां है
ज़ुबां रखते हुए जो बेज...ख़ुदा रखे वही एक राज़दां है<br />ज़ुबां रखते हुए जो बेज़ुबां हैAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-91671133585981309572012-07-08T21:20:42.130-07:002012-07-08T21:20:42.130-07:00हंसी-ख़ुशी बंटती रहे, बटे परस्पर प्यार |
श्रद्धा ...हंसी-ख़ुशी बंटती रहे, बटे परस्पर प्यार |<br />श्रद्धा सह विश्वास की, हमें बहुत दरकार |रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-72788318214628632642012-07-08T21:00:35.485-07:002012-07-08T21:00:35.485-07:00शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
दोनों के सिलसिले म...शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया<br />दोनों के सिलसिले में ये बेहतर कहा गया<br /><br />ख़ुददारियों की राह पे जो गामज़न रहे<br />उनको हमारे शहर में ख़ुदसर कहा गया<br /><br />इक मुख्तसर सी झील न जो कर सका उबूर<br />इस दौर में उसी को शनावर कहा गया<br /><br />उसने किया जो ज़ुल्म तो हुआ न कुछ भी ज़िक्र<br />मैंने जो कीं ख़ताएं तो घर घर कहा गया<br /><br />मैं ही वो सख्त जान हूं कि जिसके वास्ते<br />तपती हुई चट्टान को बिस्तर कहा गयाAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.com