tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post8122462147934736234..comments2023-11-05T03:09:01.854-08:00Comments on रविकर की कुण्डलियाँ: दर्शन-प्राशन पर टिप्पणीरविकर http://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-88600882317135093242011-09-03T04:56:26.386-07:002011-09-03T04:56:26.386-07:00aapka likhne ka yah andaj mujhe behad bhata hai..g...aapka likhne ka yah andaj mujhe behad bhata hai..geyata rachanaon ko stahyitava aur rochakta pradan karti hai..gudh baaton ko behad hi rochak andaj me bayan karne ke aapke in prayason ko naman ke sathDr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-14431377447603376932011-09-03T04:39:55.584-07:002011-09-03T04:39:55.584-07:00गुप्ता जी आप के शब्द संयोजन गजब के होते है ! अति भ...गुप्ता जी आप के शब्द संयोजन गजब के होते है ! अति भाव पूर्णG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-79260184068154095662011-09-02T05:39:01.008-07:002011-09-02T05:39:01.008-07:00बहुत सुन्दर!बहुत सुन्दर!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-55141375428339077282011-09-02T00:19:07.839-07:002011-09-02T00:19:07.839-07:00नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
ह्रदय के आर पार, झूर...नयन से चाह भर, वाण मार मार कर<br />ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |कुंडलियों का जादू प्रेमी के सिर चढ़ा जात है ....<br />बृहस्पतिवार, १ सितम्बर २०११<br />....फांसी पर जातिवादी ताकतें मुखर .... .......virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-69998735745241877122011-09-02T00:13:56.862-07:002011-09-02T00:13:56.862-07:00sudhaar :
माँ-पिता अपनी संतान को सुधारने को ताड़ि...sudhaar :<br /><br />माँ-पिता अपनी संतान को सुधारने को ताड़ित करते हैंप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-38560748277248107592011-09-02T00:12:29.128-07:002011-09-02T00:12:29.128-07:00परेशानियाँ = परेशानियों
मार-पीट करे खूब, प्रिय क...परेशानियाँ = परेशानियों <br /><br />मार-पीट करे खूब, प्रिय का धरत रूप<br />नयनों से करे चुप, ऐसे आजमात है |<br /><br />@ नयन तो प्रेमी जनों के सारथी हैं.... यदि प्रेमी आँखों से सूर भी हुआ तो भी वह मन की आँखों से प्रिय को निहारेगा और उसके पीछे-पीछे पतंग की नाईं होम हो जायेगा.... जिससे जीवन भर का वास्ता रखना होता है हम उसीसे अधिक तकरार (मार-पीट) करते हैं... लेकिन इस मार-पीट में प्रिय का हित छिपा होता है... माँ-पिता अपनी संतान को सुधारने को ताड़ित करती है.. पति अथवा पत्नी या प्रेमी अथवा प्रेयसी परस्पर ताड़ित करते हैं तो विश्वास को चोट लगने के कारण ही... वे दरअसल अपने परस्पर संबंध के विश्वास की जड़ें जमा रहे होते हैं. उनका लड़ना लड़ना नहीं एक अलग किस्म का लाड़ है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-63876873715179481982011-09-02T00:10:10.542-07:002011-09-02T00:10:10.542-07:00बेहद तकरार हो, खुदी खुद ही जाय खो
पग-पग पे कांटे ब...बेहद तकरार हो, खुदी खुद ही जाय खो<br />पग-पग पे कांटे बो, प्रेम गीत गात है |<br /><br />@ प्रेमी पात्रों की परस्पर तकरार भी नये परिणामों का कारण बनती है... नये परिणामों के लिये खुद की 'खुदी' को भूलना पड़ता है. या खुद ही वे अपनी सुदबुद खो बैठते हैं. ... तल्लीनता में कदम-कदम पर आने वाली परेशानियाँ की परवाह नहीं रह जाती... प्रेम के तरानों को गाते हुए प्रेमी अपना बलिदान तक दे बैठते हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-41098016776430263312011-09-02T00:08:34.777-07:002011-09-02T00:08:34.777-07:00नेह का बुलाय लेत, देह झकझोर देत
झंझट हो सेत-मेत, भ...नेह का बुलाय लेत, देह झकझोर देत<br />झंझट हो सेत-मेत, भाग भला जात है |<br /><br />@ रविकर जी, शून्य हृदय-गुफा में जब चुपचाप नेह का आगमन होता है देह का वन-प्रांगण तमाम कंटीली झाड़ियों और खरपतवारों की परवाह किये बगैर आनंद के झोंकों से झूमता रहता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-9823211083393864512011-09-02T00:07:45.695-07:002011-09-02T00:07:45.695-07:00नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
ह्रदय के आर पार, झूर...नयन से चाह भर, वाण मार मार कर<br />ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |<br /><br />@ सच रविकर जी, नयनों में चाह भर बंकिम दृष्टि से पिय का निहारना हृदय-विदारक लीला है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7292513918260012791.post-56204150247833233422011-09-01T21:55:49.645-07:002011-09-01T21:55:49.645-07:00ठीक है जी।ठीक है जी।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com