पुरानी रचना
पाई नाव चुनाव से, खर्चे पूरे दाम |
पाई नाव चुनाव से, खर्चे पूरे दाम |
लूटो सुबहो-शाम अब, बिन सुबहा नितराम |
बिन सुबहा नितराम, वसूली पूरी करके |
करके काम-तमाम, खजाना पूरा भरके |
सात समंदर पार, चली रविकर अधमाई |
थाम नाव पतवार, जमा कर पाई पाई ||
लाज लूटने की सजा, फाँसी कारावास |
देश लूटने पर मगर, दंड नहीं कुछ ख़ास |
दंड नहीं कुछ ख़ास, व्यवस्था दीर्घ-सूत्रता |
विधि-विधान का नाश, लोक का भाग्य फूटता ।
बेचारा यह देश, लगा अब धैर्य छूटने ।
भोगे जन-गण क्लेश, लगे सब लाज लूटने ॥