(1)
टीका डी एन ए सरिस, गाड-पार्टिकिल चार |
कई सदी से डालता, गहन असर संचार |
गहन असर संचार, सरस मानव का जीवन |
दिन प्रति दिन का सार, तोड़ता जाए बंधन |
नश्वर जीवन आज, लगे इसके बिन फीका |
जयतु तार बेतार, करे क्या रविकर टीका ??
(2)
मेनी टू मेनी हुआ, नव मीडिया दुरुस्त ।
नैनो सा चंचल चपल, कालजीत सा चुस्त ।
कालजीत सा चुस्त, दशा पौगंड दिखाया ।
गर्भ जन्म फिर बाल्य, सफल कौमार्य बिताया ।
बीत रहा पौगंड, मस्त यौवन की बारी ।
रखे मीडिया होश, छाय ना जाय खुमारी ।।
(3)
दसों दिशा में छा रहा, अविरल सरस प्रवाह ।
सकल घटक अनुभव करें, जब अदम्य उत्साह ।
जब अदम्य उत्साह, राह में रहजन लूटे ।
फैलाए अफवाह, पलायन धंधा छूटे ।
सरल करे संचार, हमेशा मानव जीवन ।
दुरुपयोग कर दुष्ट, मान का करते मर्दन ।।
(4)
दिव्य दृष्टि मीडिया नव, दर्शन कक्षा श्रेष्ठ ।
शुद्ध चित्त से आकलन, प्रस्तुत विवरण ठेठ ।
प्रस्तुत विवरण ठेठ, मिलावट नहीं करे है ।
*जैसी चादर दीन्ह, उतारे शुद्ध धरे है ।
निरहू-घिरहू फिल्म, खेल सत्ता संसाधन ।
शिक्षा सेहत ढोंग, आपदा दंगा चिंतन ।।