Tuesday, 9 September 2014
तुर्क-युवक नादान, बंद कर पत्थरबाजी-
बाजीगर सैनिक डटे, मौत सामने ठाढ़ |
ग्राम नगर कश्मीर के, झेल रहे हैं बाढ़ |
झेल रहे हैं बाढ़, देश राहत पहुँचाया |
फौजी रहे बचाय, सामने जो भी आया |
फ़ौजी का सम्मान, करो रे मुल्ला-काजी |
तुर्क-युवक नादान, बंद कर पत्थरबाजी ||
Monday, 8 September 2014
सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें-
घाटी की माटी बही, प्राणांतक सैलाब |
कुछ भी ना बाकी बचा, कश्मीरी बेताब |
कश्मीरी बेताब, जान पर फौजी खेलें |
सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें |
राहत और बचाव, रात बिन सोये काटी |
फौजी सच्चे दोस्त, समझ ना पाये घाटी ||
Saturday, 6 September 2014
धर्म-भीरु इस हेतु, डरे प्रभु से यह पगला-
भला भयातुर भी कहीं, कर सकता अपराध ।
इसीलिए तो चाहिए, भय-कारक इक-आध ।
भय-कारक इक-आध, शिकारी खा ना पाये ।
चलता रहे अबाध, शांतिप्रिय जगत बनाये ।
धर्म-भीरु इस हेतु, डरे प्रभु से यह पगला ।
सँभला जीवन-वेग, आचरण सँभला सँभला ।
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