बेसुरम पर --
बाप रे! फिर चुनाव!!
ढोता बोझा तंत्र का, मन्त्र एक मतदान |
सरकारी खच्चर पड़ा, इत-उत ताक उतान |
इत-उत ताक उतान, बोझ से मन घबराया |
हिम्मत कर पुरजोर, तंत्र का बोझ उठाया |
बोले पर गणतंत्र, उठा के क्यूँ तू रोता |
सरकारी खच्चर पड़ा, इत-उत ताक उतान |
इत-उत ताक उतान, बोझ से मन घबराया |
हिम्मत कर पुरजोर, तंत्र का बोझ उठाया |
बोले पर गणतंत्र, उठा के क्यूँ तू रोता |
प्रभू उठाये तोय, उठाये जैसे ढोता ||