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Wednesday, 21 August 2013

करवा लेती काम, फाइलें चाटे दीमक-

दीमक मजदूरी करे, चाट चाट अविराम |
रानी महलों में फिरे, करे क़ुबूल सलाम |

करे क़ुबूल सलाम, कोयला काला खलता |
बचती फिर भी राख, लाल होकर जो जलता |

लेकिन रानी तेज, और वह पूरा अहमक |
करवा लेती काम, फाइलें चाटे दीमक ||

Saturday, 31 March 2012

ममता बाढ़ी बंग, तंग सो सोनी मोहन

मोहन के बापू मियाँ, कहाँ हाथ से तंग ।।


मिले  नसीहत  नियमत:, हाव-भाव के संग।


 हाव-भाव के संग, जरा सी गिरवी लाठी ।

 मुश्किल में कुछ सूत्र, सड़ी चरखे संग *माठी ।



दिल थोडा मासूम, करें मंत्री आरोहन ।


ममता बाढ़ी बंग, तंग सो सोनी मोहन ।


*कपास की प्रकार  

Friday, 16 March 2012

अब तो कुंडा राज, फतह नहले-दहले की-


अखिल विश्व में गूंजता, जब बरबंडी घोष ।
यू पी की बिगड़ी दशा, पर करते क्यूँ रोष ।

पर करते क्यूँ रोष, डूबती सदा तराई ।
नब्बे हैं बरबाद, करें दस यही पिटाई ।
 
डी पी यादव केस, इलेक्शन के पहले की ।
अब तो कुंडा राज, फतह नहले-दहले की ।।

Tuesday, 13 March 2012

बैठे भाजप चील, मार न जांय झपट्टा-

उत्तराखंड की परिस्थिति पर
शास्त्री जी के सटीक दोहे  
और 
मेरी कुंडली 
सत्य कटुक कटु सत्य हो, गुरुवर कहे धड़ाक।
दल-दल में दलकन बढ़ी, दल-दलपति दस ताक।

दल-दलपति दस ताक, जमी दलदार मलाई ।
सभी घुसेड़ें नाक, लगे है पूरी खाई ।
 
खाई कुआँ बराय, करो मैया ना खट्टा ।
बैठे भाजप चील, मार न जांय झपट्टा ।। 

"दोहे-दल-दल में सरकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


देवभूमि में आ गया, खण्डित जन आदेश।
गुटबन्दी में फँस गया, सत्ता का परिवेश।१।

बिकने को तैयार हैं, प्रत्याशी आजाद।
लोकतन्त्र का हो रहा, रूप यहाँ बरबाद।२।

जोड़-तोड़ होने लगी, खिसक रहा आधार।
जनपथ के आदेश की, हुई करारी हार।३।

चलने से पहले फँसी, दल-दल में सरकार।
दर्जन भर बीमार हैं, लेकिन एक अनार।४।


Tuesday, 6 March 2012

नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना

टुन्ना में फल न लगे, आये मंजर खूब ।
पाला से पाला पड़ा, गए ख़ास सब ड़ूब । 
गए ख़ास सब ड़ूब, आम का झंडा फहरा ।
ख़ास बिके नक्खास, छुपाते घूमें चेहरा ।
नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना ।
गले अमेठी हार, छूछ हाले है टुन्ना ।।
Priyanka%20Gandhi%20kids%20(1).jpg

Tuesday, 21 February 2012

जब था-ली भर-पेट, देख न मेरी थाली

जिस थाली में खा रहा, करे उसी में छेद ।
छल के छलनी दे बना, सत्तर सत्ता भेद ।

सत्तर सत्ता भेद, सूप की हंसी उडावे  ।
 करे चलय दिग्विजय, ताल से पानी लावे।

अपनी शर्ट सफ़ेद,  दाग से तेरी काली ।
जब था-ली भर-पेट, देख न मेरी थाली ।।

Friday, 27 January 2012

मेरी टिप्पणी

 बेसुरम पर --

बाप रे! फिर चुनाव!!

ढोता बोझा तंत्र का, मन्त्र एक मतदान |
सरकारी खच्चर पड़ा, इत-उत ताक उतान |

इत-उत ताक उतान, बोझ से मन घबराया |
हिम्मत कर पुरजोर, तंत्र का बोझ उठाया |

बोले पर गणतंत्र, उठा के क्यूँ तू रोता |
प्रभू उठाये तोय, उठाये जैसे ढोता ||

Monday, 9 January 2012

टोटे-टोटे टाट, जीत ले लगा पलीता--

मोह लगे माया ठगे, जगे कमीशन खोर |

सत्ता शक्ती के सगे, चमचे लीचड़ चोर |
Symbol Party
  BSP

  SP
  NCP
  CPI
  CPI(ML)(L)
  SHS
  JD(U)

  JD(S)
  RJD
  AGP
  RSP
  BJD
  JMM
  RLD
  MUL
  AITC
  JKN

  FBL
  NPC
  MAG
  FPM
  JKPDP
  MNF

  UGDP
चमचे लीचड़ चोर, घोर शैतानी बेला |

रविकर रहा अगोर, पुन: बिरतानी खेला |
Election symbols...
जाति-धर्म में बाँट, ठाठ से जीवन जीता  |

टोटे-टोटे टाट, जीत ले लगा पलीता ||
File:BambooKyoto.jpg

Thursday, 8 December 2011

चढ़े चढ़ावा दूर, कागदे होय कमाई ||

रेगा होते जा रहे, लाभुक और मजूर |
बैठ कमीशन खा रहे, बिना काम भरपूर |
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/91/Kettenbagger_CAT_325C_LN.jpeg
बिना काम भरपूर, मशीनें करैं खुदाई |
चढ़े चढ़ावा दूर, कहीं कागदे कमाई |

वैसे ग्राम-विकास, करे यूँ खूब नरेगा |
किन्तु श्रमिक अलसात, खेत-घर आधे रेगा ||


Saturday, 22 October 2011

हाथी पर अब बैठ, ठगिन-माया को भोगो-


विकास के मामले में मोदी से पीछे नहीं हैं माया-रिपोर्ट



Buy Narendra Modi: The Architect Of A Modern State
*लोगों  ने  हरदम किया, महापलायन खूब |
*हाथी जो होता नहीं, यू  पी  जाता  डूब |
Uttar Pradesh CM Mayawati waves after inaugurating the Rashtriya Dalit Prerna Sthal in Noida. Maya      
*यू  पी  जाता  डूब,  बड़ी किरपा की बहना |
*यन यस पी डी खूब,  सजे  गुजराती गहना |

*हाथी पर अब बैठ,  ठगिन-माया  को  भोगो |
*बढ़िया  तर्क - रिपोट, लौट कर आओ लोगों ||

Sunday, 16 October 2011

पब्लिक दी मरवाय

 बोले अकबर  देर तक,  बँटवारे  की  बात |
 व्याख्यान में खोल के,  नेहरु  का उत्पात  | 
नेहरु का उत्पात, सहा हर हिन्दुस्तानी  |
जिन्ना पर भी खूब,  चढ़ी थी सत्ता-रानी |
दोनों ये अंग्रेज,  बने जब सबके रहबर |
 पब्लिक दी मरवाय,  लड़ा के बोले अकबर |

Wednesday, 28 September 2011

लीज छीज खा खनिज-

फूटी  आँखें  जीव  की,  तम  भी  नहीं  दिखाय |
तमसो  मा  ज्योति  गया, चकाचौंध अतिकाय | 
DEATH TRAPS: Women and children at work in an illegal coal mine at Banwar Ramgarh village in Jharkhand. Photo: Manob Chowdhury
चकाचौंध   अतिकाय,   भोगते   रेड्डी - कोड़ा |
लीज छीज  खा खनिज,  करोड़ों  जोड़ा - तोड़ा |
File photo of a mine in Bellary district of Karnataka. Photo: Special Arrangement.
पर रविकर पड़ जाय, तमन्चर अधिक उजाला |
आँखे   जाती   फूट,   बदन  पड़  जाता  काला ||
तमन्चर=निशाचर, राक्षस, उल्लू

Tuesday, 27 September 2011

पगड़ी के रोबोट, सहित सरकार हिलाया-



हाड़-माँस की पुत्तली, 'चिदविभरम', रोबोट |
रोटी में  ही  खोट है,  पोट  के  खाते  नोट |
Robot Man - vintage toy
पोट के खाते नोट, खोल  के  बाहर खाते |
मुद्रा पर कर चोट,  नोट  से  नजर चुराते  |
http://static.indianexpress.com/m-images/Sat%20May%2016%202009,%2017:23%20hrs/M_Id_79032_manmohan_sonia.jpg
पर रविकर अधिकार, सूचना से जो  पाया |
पगड़ी  के  रोबोट,  सहित सरकार हिलाया ||
GG=2G

Thursday, 15 September 2011

सी एम् पद की दाल, गले न संघ नाव पर

 





संघ-नाव पर बैठकर, मोदी और बघेल |
सालों शाखा में गए,  खेले  संघी खेल |

खेले संघी खेल,  'कुरसिया'  लगे खेलने |
कांगरेस - पापड़ा , बघेला  बड़े  बेलने |

करत नजर-अंदाज, 'माम'  नाराज दाँव-पर |
सी एम्  पद की दाल, गले न संघ नाव पर ||

Monday, 12 September 2011

मिले राम-माया नहीं

लेता देता हुआ तिहाड़ी, पर सरकार बचा ले कोई

 पर एक टिप्पणी के  सम्मान में--

 G.N.SHAW said... 

अर्थ के साथ दोहे तो सोने पर सुहागा जैसा ! 

दिग्गी को छोड़ दिए , जो " अमर " राग अलाप रहा !  बधाई गुप्ता जी ! 

(१)


आँखे - माखू   दूसता,  संघ - हाथ  बकवाद || 
अर्जुन का यह औपमिक, है औरस  औलाद |
है  औरस  औलाद,  कभी  बाबा  के  पीछे ,
अन्ना  की  हरबार, करे  यह  निंदा  छूछे |
सौ मिलियन का मद्य, नशे में अब भी राखे,
बड़का लीकर किंग, लाल रखता है आँखे ||
(२)
आतंकी  की  प्रशंसा ,  झेले  साधु-सुबूत 
जहल्लक्षणा जाजरा,  महा-कुतर्की पूत |
महा-कुतर्की पूत, झाबुआ  रेप  केस  में,
दोषी  हिन्दू-संघ, बका  था  कहीं द्वेष में |
भागा भागा फिरा, किया  भारी  नौटंकी,
लिया जमानत जाय,  चाट कर यह आतंकी ||
(३)
क्रूर तमीचर सा बके, साधु-जनों  पर खीज || 
तम्साकृत चमचा गुरु, भूला समझ तमीज |
भूला समझ तमीज, बटाला  मोहन  शर्मा,
कातिल नहीं  कसाब , बताता   है  बे-धर्मा |
 कहे करकरे  साब,  मारता  हिन्दू-लीचर ,
पागल  करे  प्रलाप, विलापे  क्रूर-तमीचर ||
 (४)
वो माया के  फेर में, करे राम अपमान,
मिले राम-माया नहीं, व्यर्थ लड़ाए जान|
व्यर्थ लड़ाए जान, बुड़ाया  अपनी गद्दी,
 गले नहीं जब दाल, करे तरकीबें भद्दी |
 बोला तब युवराज, अशुभ है इसका साया,
हूँ मुश्किल में माम, बड़ी टेढ़ी वो माया ||

Saturday, 10 September 2011

लेता देता हुआ तिहाड़ी, पर सरकार बचा ले कोई

माननीय प्रतुल वशिष्ठ जी
की महती कृपा !!
उनका विश्लेषण भी पढ़ें |

आलू   यहाँ   उबाले   कोई  |
बना  पराठा  खा  ले  कोई ||
आलू उबाला तो जनता ने था... लेकिन पराठा नेताजी खा रहे हैं.


तोला-तोला ताक तोलते,
सोणी  देख  भगा  ले कोई |
मौके की तलाश में रहते हैं कुछ लोग ...
जिस 'सुकन्या' ने विश्वास किया ..
उस विश्वास के साथ 'राउल' ने घात किया.


 
जला दूध का छाछ फूंकता
छाछे जीभ जला ले कोई |
हमने कांग्रेस को फिर-फिर मौक़ा देकर अपने पाँव कुल्हाड़ी दे मारी...
हे महाकवि कालिदास हमने आपसे कुछ न सीखा!


जमा शौक से  करे खजाना 
आकर  उसे  चुरा ले कोई ||
काला धन जमा करने वाले इस बात को समझ नहीं रहे कि
विदेशी चोरों को जरूरत नहीं रही चुराने की... अब वे घर के मुखियाओं को मूर्ख बनाना जान गये हैं... धन की बढ़ती और सुरक्षा की भरपूर गारंटी देकर वे उस घन का प्रयोग करते हैं... शास्त्र कहता है 'धन का उपयोग उसके प्रयोग होने में है न कि जमा होने में.'


लेता  देता  हुआ  तिहाड़ी
पर सरकार बचा ले कोई ||
लेने वाले और देने वाले दोनों तिहाड़ में पहुँचे ...
लेकिन उनके प्रायोजकों पर फिलहाल कोई असर नहीं... यदि कुछ शरम बची होगी तो शर्मिंदगी जरूर होती होगी... जो कर्म दोषी करार हुआ उसका फ़ल (सरकार का बचना) कैसे दोषमुक्त माना जाये?
... वर्तमान सरकार पर जबरदस्त जुर्माना होना चाहिए और इन सभी मंत्रीवेश में छिपे गद्दारों को कसाब के साथ काल कोठारी बंद करना चाहिए... ये सब के सब उसी पंगत में खड़े किये जाने योग्य हैं.

"रविकर" कलम घसीटे नियमित
आजा  प्यारे  गा  ले  कोई ||
रविकर जी, आपको लगता होगा कि आप कलम यूँ ही घसीट रहे हैं...
हम जानते हैं कि ये जाया नहीं जायेगा.... आपका श्रम आपकी साधना फलदायी अवश्य होगी.
दिनकर जी पंक्तियों में कहता हूँ :
कुछ पता नहीं, हम कौन बीज बोते हैं.
है कौन स्वप्न, हम जिसे यहाँ ढोते हैं.
पर, हाँ वसुधा दानी है, नहीं कृपण है.
देता मनुष्य जब भी उसको जल-कण है.
यह दान वृथा वह कभी नहीं लेती है.
बदले में कोई डूब हमें देती है.
पर, हमने तो सींचा है उसे लहू से,
चढ़ती उमंग को कलियों की खुशबू से.
क्या यह अपूर्व बलिदान पचा वह लेगी?
उद्दाम राष्ट्र क्या हमें नहीं वह देगी?

ना यह अकाण्ड दुष्कांड नहीं होने का
यह जगा देश अब और नहीं सोने का
जब तक भीतर की गाँस नहीं कढ़ती है
श्री नहीं पुनः भारत-मुख पर चढती है
कैसे स्वदेश की रूह चैन पायेगी?
किस नर-नारी को भला नींद आयेगी?...

 क्लिक --अमर दोहे

Tuesday, 6 September 2011

अमर दोहे




 Sanjay Dutt, Manyata and Amar Singh
व्यर्थ  सिंह  मरने  गया,  झूठ  अमर  वरदान,
दस जनपथ कैलाश से, सिब-बल अंतरध्यान |
इतना  रुपया  किसने  दिया ? 
 
फुदक-फुदक के खुब किया, मारे कई सियार,
सोचा था खुश होयगा, जन - जंगल सरदार |
जिन्हें लाभ वे कहाँ ??


साम्यवाद के स्वप्न को, दिया बीच से चीर,
बिगड़ी घडी बनाय दी, पर बिगड़ी तदबीर  |
परमाणु समझौता 


अर्गल गर गल जाय तो, खुलते बन्द कपाट,
जब मालिक विपरीत हो, भले काम पर डांट |
हम तो डूबे, तम्हें भी ---

दुनिया  बड़ी  कठोर है , एक  मुलायम  आप,
परहित के  बदले  मिला,  दुर्वासा  सा  शाप |
मुलायम सा कोई नहीं 
 
खट    मुर्गा   मरता  रहे,  अंडा  खा   सरदार,
पांच साल कर भांगड़ा, जय-जय जय सरकार |
Mulayam Singh Yadav






Sunday, 4 September 2011

मीरा रही जगाय--


Photo: Dusk descends on a herd of buffalo 

चारा  अब  चारा  नहीं, चारो  और  चुहाड़ |
खाते   पीते   लूटते,   जाय   कठौता  फाड़ |





जाय कठौता फाड़,  मवेशी दिन भर ढोवै |
कदम कदम पर रोज, रात मा  कांटे बोवै |




मीरा  रही  जगाय,  जगाये गोकुल सारा |
सोवै  घोडा   बेंच,  मरे  काहे  बे-चारा ??