होवे हृदयाघात यदि, नाड़ी में अवरोध ।
पर नदियाँ बाँधी गईं, बिना यथोचित शोध ।
बिना यथोचित शोध, इड़ा पिंगला सुषुम्ना ।
रहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?
अंधाधुंध विकास, पड़ी प्रायश्चित रोवे ।
भौतिक सुख की ललक, तबाही निश्चित होवे ।।
त्रिसोता = भागीरथी ,अलकनंदा और मन्दाकिनी
बरसाती चेतावनी, चूक चोचलेबाज |
डूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |
चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |
जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||
सही तथ्य कहा है ....
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ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक 05-07-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल पर भी है...
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाएं तथा इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और नयी पुरानी हलचल को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी हलचल में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान और रचनाकारोम का मनोबल बढ़ाएगी...
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
मन का मंथन... मेरे विचारों कादर्पण...
सटीक प्रस्तुति !!
ReplyDeleteकितना सही और कितना दुखद...
ReplyDeleteरहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?
ReplyDelete..कटु सत्य कहा है आपने। आज के अखबार तो और भी कड़ुवा सच बता रहे हैं। जानकारी के बाद भी लापरवाही बरती गई।:(
बरसाती चेतावनी, चूक चोचलेबाज |
Deleteडूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |
चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |
जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||
सटीक प्रस्तुति !आभार।
ReplyDeleteरविकर जी .. कितने विज्ञान सम्मत तरीके आपने अपनी बात रखी है .. बेहतरीन कुण्डलियाँ !
ReplyDeleteइधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||....... गज़ब .. ये पंक्ति तो कमाल कि लिखी है ...
ReplyDelete..उम्दा प्रस्तुति .आभार मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं #
ReplyDeleteआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
भौतिक बादीयों सम्हाल जाओ विध्वंस नही लो जग में ,सुन्दर ,अति सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार८ /१ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है।
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक कुण्डलियाँ
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
बिल्कुल सही कहा..
ReplyDeleteशुभ प्रभात
ReplyDeleteसच ही तो है
ज्यादती को कोई भी बरदास्त नहीं करता
फिर प्रकृति क्यों करे.....
इंद्रा का नाती.. से तात्पर्य
मैं लगा रही हूँ
इन्दिरा का नाती
सच है न भाई...
सादर
बहुत सुन्दर
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