भारत का भुरता बना, खाया खूब अघाय |
भरुवा अब तलने लगे, सत्तारी सौताय |
सत्तारी सौताय, दलाली दूजा खाये |
आम आदमी बोल, बोल करके उकसाए |
इज्जत रहा उतार, कभी जन-गण धिक्कारत |
भागे जिम्मेदार, अराजक दीखे भारत ||
अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग-
अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग |
रविकर सर पर पैर रख, भाग सके तो भाग |
भाग सके तो भाग, जमुन-जल नाग-कालिया |
लिया दिया ना बाल, बटोरे किन्तु तालियां |
दिखे अराजक घोर, काहिरा जैसा जंतर |
होवे ढोर बटोर, आप में कैसा अंतर ||