पंडित का सिक्का गिरा, देने लगा अजान।
गहरा नाला क्यूं खुदा, खुदा करो अहसान ।
खुदा करो अहसान, सन्न हो दर्शक सारा
हनुमत रविकर ईष्ट, उन्हें क्यों नही पुकारा ।
इक सिक्के के लिए, करूं क्यों भक्ति विखंडित।
क्यूं कूदें हनुमान, प्रत्युत्तर देता पंडित।।