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Monday, 26 August 2013

दिल जीतेगी पेट से, दिल्ली से यह व्योम


(1)
मरजीना असली मदर, रोम रोम में रोम |
दिल जीतेगी पेट से, दिल्ली से यह व्योम |

दिल्ली से यह व्योम, बरसते काले बादल |
सड़े खुले में अन्न, बटेगा सड़ा हुआ कल |

और मरे ना भूख, टैक्स पेयर है करजी |
मिल जाए बस वोट, यही मरजीना मरजी- 

(२)
जाने मरजीना कहाँ, चली बांटने अन्न |
चालू चालीस चोर के, अच्छे दिन आसन्न |

अच्छे दिन आसन्न, रहा अब तक मन-रेगा |
कई फीसदी लाभ, यही भोजन बिल देगा |

चाहे डूबे देश, चले हम वोट कमाने |
भूखें सोवें लोग, लूटते चोर खजाने ||