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Wednesday, 5 December 2012

बिचौलिया भरमार, ख़त्म कर रहे दलाली-




होंगे ख़त्म बिचौलिया, भरे माल में माल ।
खेतिहर मालामाल हो, ग्राहक भी खुशहाल ।
 
 ग्राहक भी खुशहाल, मिले मामा परदेशी ।
ईस्ट-इंडिया काल, लूट करते क्या वेशी ?

रविकर बड़े दलाल, बटोरेंगे अब ठोंगे ।
दस करोड़ बदहाल, आप भी इनमें होंगे ।।


ऍफ़ डी आई बन रही, इन सब की हत्यार ।
ग्राम नगर संसद सड़क, बिचौलिया भरमार ।
 
बिचौलिया भरमार, ख़त्म कर रहे दलाली ।
दस करोड़ तक लोग, भाड़ झोकेंगे खाली  ।

भारत के नागरिक, नहीं क्या ये हैं भाई । 
जीवन का आधार, मिटाती ऍफ़ डी आई ।