शिशु-बाल
हँसना रोना छींकना, दुख सुख की अनुभूति |
हँसना रोना छींकना, दुख सुख की अनुभूति |
करे तेज बल बुद्धि की, दैनंदिन आपूर्ति ||
तगड़ा होता फेफड़ा, रोता है तो रोय ।
बच्चे को मत रोकिये, स्वत: शीघ्र चुप होय ||
आँसू बहने दो जरा, भावों को मत रोक |
निर्मल होते दिल नयन, कम हो जाता शोक ||
निर्मल होते दिल नयन, कम हो जाता शोक ||
कान उमेठें गुरू जी, मुख से निकली आह |