करदाता के खून को, ले निचोड़ खूंखार |
रविकर बन्दर-बाँट से, होता दर्द अपार |
रविकर बन्दर-बाँट से, होता दर्द अपार |
होता दर्द अपार, बड़े कर के कर चोरी |
भोगें धन-ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी |
लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता |
जीना है दुश्वार, मरे सच्चा करदाता ||
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होता दर्द अपार, बड़े कर के कर चोरी |
ReplyDeleteभोगें धन-ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी |
कोई शक की गुंजाइश नहीं !
लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता |
ReplyDeleteजीना है दुश्वार, मरे सच्चा करदाता ||
बहुत सही....
यथार्थवादी पंक्तियां.....