बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी! सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव! -- पूर्व के कमेंट में सुधार! आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है। सूचनार्थ...! --
पाका घौता आम का, झारखंड बागान |
ReplyDeleteअपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान |
हा-हा- शोरेन बाबू की जय !
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
ReplyDelete--
पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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आदरणीय रविकर जी
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुती हमेशा उम्दा रहती है।
बेहतरीन प्रस्तुति ,अति सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबंटवारे की बेर, नक्सली करें धमाका |
ReplyDeleteहो जाए अंधेर, आम पाका तो पाका
bahut khoob...