कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत |
हिल्ले रोजी कह रहे, कहें बहाने मौत |
कहें बहाने मौत, बनी है निर्णय-कर्ता |
करता कोई और, और कोई है भरता |
खबरंडी व्यवसाय, करे धन-दौलत हासिल |
स्वयं रहा हित साध, मीडिया कितना कातिल ||
राम-भरोसे चल पड़े, फैलाने सुविचार ।
धर्म-विरोधी ले उठा, हाथों में हथियार । हाथों में हथियार, कर्म तो गजब-घिनौने । इन सब से वे ठीक, बने जो आधे-पौने । धर्म न्याय विज्ञान, भूमि भी इनको कोसे । दुनिया यह तूफ़ान, झेलती राम-भरोसे ॥ क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....
केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |
गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |
सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
गेगले=*मूर्ख
गेंदुल=चमगादड़
गेंगटे=केकड़े
समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं
Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय | कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा | पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा | पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर | गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर || |
संतरी, पीले, भूरे, लाल रंग से सजा क्षितिज |