Sunday 15 December 2013

दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय-



आशा अपने राम को, नारायण आशीष । 
खड़ा बड़ा साम्राज्य हो, दर्शन की हो फीस । 
जोड़े रकम अकूत । 
नाम करेगा पूत ।। १॥ 

राहु-केतु लेते चढ़ा, खींच खींच आस्तीन । 
दोष दूसरे पर मढ़े, दंगाई तल्लीन ।  
जीते पर यमदूत । 
नाम करेगा पूत ॥ २॥ 

छींका टूटा भाग्य से, बिल्ली गई अघाय । 
दिल्ली थोड़ी दूर बस, बस देगी पहुंचाय । 
दिखे आप मजबूत। 
नाम करेगा पूत ॥ ३॥ 

अनशन पर आये नहीं, यद्दपि ज्यादा लोग । 
लोकपाल पर आ गया, बढ़िया यह संजोग । 
रविकर कर करतूत । 
नाम करेगा पूत ॥ ४ ॥ 

कुंडलियां 
(1)
पापा कहते हड़बड़ा, नाम करेगा पूत |
गली मुहल्ला घर त्रसित, असहनीय करतूत |
असहनीय करतूत, शिकायत हर दिन आये |
तोड़-फोड़ खिलवाड़, फटे में टांग अड़ाए |
तोड़ा रेस्टोरेंट, जला के चौखट तापा |
बड़ा करेगा नाम, बोल बैठे तब पापा ||

(2)

लेना-देना भूलता, कुछ व्यवहारिक ज्ञान |
कूट कूट लेकिन भरा, बेटे में ईमान |

बेटे में ईमान, खड़ा दुविधा का रावण |
टाले कुल शुभकर्म, कराये  अशुभ अकारण |

घटी तार्किक बुद्धि, जगत देता है ठेना |
किन्तु करेगा नाम, कभी ईमान खले ना ॥ 

1 comment: