कातिल होती मीडिया, मौत रही नित न्यौत | हिल्ले रोजी कह रहे, कहें बहाने मौत | कहें बहाने मौत, बनी है निर्णय-कर्ता | करता कोई और, और कोई है भरता | खबरंडी व्यवसाय, करे धन-दौलत हासिल | स्वयं रहा हित साध, मीडिया कितना कातिल ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-12-2013) "हर टुकड़े में चांद" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1468 पर होगी. सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है. सादर...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-12-2013) "हर टुकड़े में चांद" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1468 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
सुंदर रचना
ReplyDeleteभावपूर्ण और प्रभावशाली
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
इंतज़ार और अभी
ReplyDeleteरायशुमारी फिर करें, दे सन्देश नकार |
तीस फीसदी वोट पा, करे आप व्यभिचार |
करे आप व्यभिचार, तवज्जो पुन: सभा को |
आप बड़े बेचैन, जरा अंतर्मन झांको |
फिक्स किया है गेम, किन्तु नौटंकी जारी |
बना नहीं सरकार, बताती रायशुमारी ||
खुलेगी सिम सिम सोम जी के दिन .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
दुखद
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