आदरणीय!! व्याकरण की दृष्टि से क्या
यह कुण्डलियाँ छंद खरा उतरता है ??
आलोचक चक चक दिखे, सत्ता से नाराज ।
अच्छे दिन आये कहाँ, कहें मिटायें खाज ।
कहें मिटायें खाज, नाज लेखन पर अपने।
रखता धैर्य समाज, किन्तु वे लगे तड़पने ।
बदलोगे क्या भाग्य ? मित्र मत उत्तर टालो ।
कर दे यह तो त्याग, अन्य का भाग्य सँभालो ॥