खिले बगीचे फूल संग, अनचाहे पतवार ।
जैसे घर-संसार में, लें आकार विकार ।
लें विकार आकार , उखाड़ो जड़ से सारे ।
किन्तु जहर मत डाल, असर प्यारों पर पारे ।
है जीवन की सीख, नीच जब रहे लंगीचे ।
है जीवन की सीख, नीच जब रहे लंगीचे ।
तब सु-मनों का मूल्य, समझते खिले बगीचे ।।