फूटी  आँखें  जीव  की,  तम  भी  नहीं  दिखाय |
तमसो  मा  ज्योति  गया, चकाचौंध अतिकाय | 
चकाचौंध   अतिकाय,   भोगते   रेड्डी - कोड़ा |
लीज छीज  खा खनिज,  करोड़ों  जोड़ा - तोड़ा |
पर रविकर पड़ जाय, तमन्चर अधिक उजाला | 
आँखे   जाती   फूट,   बदन  पड़  जाता  काला ||
तमन्चर=निशाचर, राक्षस, उल्लू 
 
 
