Friday, 29 June 2012

देख खोखली देह, दहल जाता दिल नन्हा-

नन्हा-नीम निहारता, बड़ी बुजुर्ग जमात ।
छैला बाबू हर समय, हरी लता लिपटात । 

हरी लता लिपटात, सुखाते चूस करेला ।
नई लता नव-पात, गुठलियाँ फेंक झमेला । 

बीस बरस उत्पात, सुलगता अंतस तन्हा ।
देख खोखली देह, दहल जाता दिल नन्हा ।।    


(2)
राम कुँवारे नीम की,  देखी दशा विचित्र ।
भर जीवन ताका किया , बालाओं के चित्र ।

बालाओं के चित्र, मित्र समझाकर हारे  |
रोज लगाके इत्र, घूमता द्वारे द्वारे |

आज बहाए नीर, पीर से जीवन हारे |
लिखा यही तकदीर, बिचारे राम कुंवारे ||

(3)

टांका महुवा से भिड़ा, अंग संग लहराय ।
गठबंधन ऐसा हुआ, नीम मस्त हो जाय ।


नीम मस्त हो जाय, करे  इच्छा  सब  पूरी  |
महुआ  भी मस्ताये , पाय दारू अंगूरी |


बुढऊ जाते सूख, आज कर कर के फांका |
महुआ खूब मुटाय, भिडाये घर घर टांका ||





Thursday, 28 June 2012

होत ना आज्ञा बिन पैसा रे ।

 राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत  ना आज्ञा बिन पैसा रे ।।
Hanuman Ji

हस्पताल में राम जी, सीता को ले जाँय ।
कन्या का होता जनम, नर्स मिठाई खाँय ।।
 होत ना कन्या बिन पैसा रे । 

किन्नर चौदह धमकते, होय गली में शोर ।
इक्यावन सौ नोचते, देते बांह मरोर ।
बचे न भैया बिन पैसा रे ।

नियमित टीका-करण  हो, कन्या के प्रति फर्ज ।
संरक्षित पूरी हुई, पर रिश्वत का मर्ज ।
थमें ना कबहूँ बिन पैसा रे ।

छठियारी में गाँव भर, छक कर खाया भोज ।
पंचायत फाइन करे, इक ठो गलती खोज ।
मिली न छुट्टी बिन पैसा रे ।।

पांच साल की हो चली, बिटिया ज्यों-स्कूल ।
रविकर को भारी पड़ी, जन्म प्रमाण की भूल । 
बने न भैया बिन पैसा रे । 

जील से होती जलन ।

चर्चित पोस्ट (1 Like = 5 My ImageViewww.hamarivani.comws)

जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस ।
पोस्ट ब्लैंक यह पोस्ट है, पर आँखे चौतीस ।

पर आँखे चौतीस, नहीं कुछ लेख लिखी है ।
मन को देती टीस, खीस ही ख़ास दिखी है ।

लम्बी डाक्टर फीस, बड़े गहरे ये खलते ।
रविकर इनसे रीस, तभी तो रहते जलते ।।


Wednesday, 27 June 2012

अहमक टकराते अहम् , अहम् खेल का दौरा

 
Wimbledon 2012: Sania-Bethanie in second round

(Reuters) - Sania Mirza has accused the India tennis federation of using her as "bait" to placate doubles specialist Leander Paes as discontent continues to rumble over the country's controversial selection process for the Olympics.




कवित्त नहीं है 
आयशा का तथाकथित, पार्टनर  ज्यों पति बना ।
लेंडर से एतराज था, भू-पति को लेती मना ।।

इस्तेमाल सानिया का, चारा जैसा कर रहा ।
पुरुष-वाद आरोप है, प्लेयर ने झटपट कहा ।।

ओलम्पिक में पदक का, अवसर टेनिस युगल में ।
पेस-महेश ही श्रेष्ठ हैं, पर दिया बाँध बण्डल में ।।

बोपन्ना से मक्कारी,  सीखती जोड़ जुगाड़ में  ।
तुम भी कर देती मना, देश जाय फिर भाड़ में ।।

अहमक टकराते अहम् , अहम् खेल का दौरा है ।
फैलाते जग में भरम, खड़ा करे सौ *झौरा है ।। 
*झंझट


Tuesday, 26 June 2012

कृष्णा की कृपा हुई, बनी टिप्पणी पोस्ट ।

सच कहो...

तन्मय होकर के सुनो, अट्ठारह अध्याय |
भेद खोल दूँ तव-सकल, रहे कृष्ण घबराय |

रहे कृष्ण घबराय, सीध अर्जुन को पाया |
बेचारा असहाय, बुद्धि से ख़ूब भरमाया |

एक एक करतूत, देखता जाए संजय |
गोपी जस असहाय, नहीं कृष्णा ये तन्मय ||

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (१८वीं-कड़ी)

Kailash Sharma
Kashish - My Poetry
 

जन्म-कर्म योगादि पर, बोल रहे गोपाल |
ध्यान पूर्वक सुन रहे, अस्त्र-शस्त्र सब डाल |

अस्त्र-शस्त्र सब डाल, बाल की खाल निकाले |
महाविराट स्वरूप, तभी तो दर्शन पाले |

अर्जुन होते धन्य, धर्म का राज्य आ गया |
गीता का सन्देश, विश्व भर भला भा गया || 



 
चित्रों की खुबसूरती, शब्दों का भावार्थ |
कृष्ण हांकते रथ चले, आनंदित यह पार्थ |

आनंदित यह पार्थ, वादियाँ काश्मीर की |
हजरत बल डल झील, पुराने महल पीर की |

रविकर टिकट बगैर, घूमता जाए मित्रों |
कर लो सब दीदार, आभार अनोखे चित्रों || 

Monday, 25 June 2012

चुसुवा के आगे लगें, रविकर सारे फीक -

अम्बिया की चटनी बने, प्याज पुदीना डाल ।
चटकारे ले खा रहा, जो गर्मी की ढाल ।।
आम सफेदा भा गए, किन्तु दशहरी ख़ास ।
सबसे बढ़िया स्वाद है, मलिहाबाद सुवास ।।
बम्बैया में राज है, लंगडा है नाराज ।
चौसा चूसे चिलबिला, फ़जली फ़िदा समाज ।।
किशनभोग है पूर्व का, हिमसागर की धाक ।
अलफांसो है फांसता, केसर गुर्जर नाक ।।

रूमानी सह रसपुरी, बादामी ज़रदालु ।
बंगनपल्ली मुल्गवा, खूब बजावे गाल ।।
चुसुवा के आगे लगें, रविकर सारे फीक ।
अपना तो देशी भला, पाचक लागे नीक ।।
 

Friday, 22 June 2012

'डंडाधारी' दंड से, करना चाहे मूक-

कुत्ते असली नस्ल के, लड़ें परस्पर भूंक ।
'डंडाधारी' दंड से, करना चाहे मूक ।

करना चाहे मूक, रुके कुत्ते जो सारे ।
करते बुरा सुलूक, हाफ़-निक्कर भी फारे ।

इक हफ्ते के बाद, उगे दो कुक्कुर-मुत्ते ।
मिल-जुल लेते बाँट, वाह रे असली कुत्ते ।।


Thursday, 21 June 2012

बचता रक्षा फंड, भरोसा तालिबान पर-

मौलाना मुलायम और दिग्गी राजा पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पद के मजबूत उम्मीदवार

मेरी  टिप्पणी 
अच्छा भला विचार है, प्यारे मित्र हरेश ।
ममता इस प्रस्ताव को, करवाएगी पेश ।

करवाएगी पेश, देश फिर बने अखंडित ।
 मिटिहै झंझट क्लेश, एक से मुल्ला-पंडित।

  जागे हिन्दुस्थान, सुबह फिर इक अजान पर
बचता रक्षा फंड, भरोसा तालिबान पर ।।

Tuesday, 19 June 2012

हर घडी हर सांस में ना आह भरते-

(1)
मौत से जो सौत सी वे डाह करते |
जान कर वे जान की परवाह करते |
सत्य-शाश्वत मृत्यु को रविकर समझ-
हर घडी हर सांस में ना आह भरते ।।

Saturday, 16 June 2012

खांई में बच्चे सहित, ममता मार छलांग-

ढर्रा बदलेगी नहीं,  रोज अड़ाये टांग ।
खांई में बच्चे सहित, ममता मार छलांग । 
 
'ममता' मार छलांग, भूलती मानुष माटी ।
धंसी 'मुलायम' भूमि, भागता मार गुलाटी ।
 
घूर रहा सिंगूर, ढिठाई जर्रा जर्रा ।
बर्रा मारे डंक, बदल ना पाए ढर्रा ।।
 
 

सरकारी यह योजना, छत की क्या दरकार -

छोटी एक दूकान से, नहीं चलेगा काम ।
चलिए बिग-बाजार सब, होवे काम तमाम ।।

ईंटा गारा से करें, खड़ी एक दीवार ।
सरकारी यह योजना, छत की क्या दरकार ??

 भैंस भली नाखुश चली, वापस घर की ओर ।
सर-सरिता सब सूखते,  मरते जाते ढोर ।।
 पहला बालक 
ट्रेन ट्रैक्टर ट्राम बस,  हॉफ टिकट का दाम ।
जल थल में इक सा सफ़र,  नहीं टिकट का काम ।।
दूसरा बालक 
माया के हाथी फ्री, ट्रेंड बड़े हुशियार ।
खा पीकर हैं वे पड़े, छोड़ भैंस का प्यार ।।

Friday, 15 June 2012

कुछ हिट शेरों की भेड़-चाल-


* लू के थपेड़े दें जला रविकर बदन
प्रेम के पेड़े बुझायें आग अब तो ।


*आज बच्चे  खेलते बढ़िया गजट
भूल मत जाना मोबाइल वहां

* कनपटी के केस रविकर पक गए-
कन्या की चिंता बढ़ी सुरसा हुई


*पत्थरों को प्यार से पिघला सके-
जिस्म में वो दिल टूटा सा पड़ा ।

*अस्तित्व का एहसास रविकर कर सका -
वर्ना हवा में उड़ रहा था आज तक ।

*साग सरसों का सभी खाने लगे
बीज ही गायब हुवे  उगते बबूल ।

*जँगले-दरवाजे फर्नीचर बनें
जंगलों की यूँ  हमें दरकार है ।

*धरती गगन को एक करना चाहता
मानवी मकसद युगों से है यही ।

*खून से भी गर सने हों हाथ रविकर
चंद सिक्के जोर से बस मार दो ।

Thursday, 14 June 2012

रहो सदा खुशहाल, बड़ी सी हो जा छोटी -

Happy Birthday Pictures

15 जून 
छोटी का शुभ जन्म-दिन, लगी बड़ी की जॉब ।
बीस एक क्रमश: बरस, काटें केक कबाब ।


स्वस्ति-मेधा रचना शर्मारूपल श्रीवास्तव 
at BIET, Jhansi 



काटें केक कबाब, मगर सब शाकाहारी ।
दे रविकर आशीष, आपकी मित्रों बारी ।

स्वस्तिमेधा मनू , बधाई कोटी कोटी ।
रहो सदा खुशहाल, बड़ी सी हो जा छोटी ।।

 

मनु  

Wednesday, 13 June 2012

भीगे ना अरमान, भीगती देह हमारी-

 (1)
गरज हमारी देख के,  गरज-गरज घन खूब ।
बिन बरसे वापस हुवे, धमा-चौकड़ी ऊब ।
 
धमा-चौकड़ी ऊब, खेत-खलिहान तपे हैं ।
तपते सड़क मकान, जीव भगवान् जपे है ।

त्राहिमाम हे राम, पसीना छूटे भारी ।
भीगे ना अरमान, भीगती देह हमारी ।।  


(2)
झुलसे खर-पतवार हैं, सूख चुकी जब मूंज ।
पड़ी दरारें खेत में, त्राहिमाम की गूँज ।
त्राहिमाम की गूँज, गगन बादल दल खोजे ।
दल-दल घोंघे भूंज, खोलते खाके रोजे ।
सावन सा वन होय, रोय रा-वन की लंका ।
बादल का ना बाज, आज तक मारू  डंका ।।


Friday, 8 June 2012

गुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर

साइबर कैफे से -

रूप चन्द्र सा है सरस, शीतल मंद समीर ।
ज्ञान ध्यान विज्ञान मिथ, धीर वीर गंभीर ।


धीर वीर गंभीर, सकल शास्त्रों के ज्ञाता ।
बसे शारदा तीर, खटीमा जग विख्याता ।

गुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर ।
बारम्बार प्रणाम, मिला दर्शन का अवसर ।।

बाकी धनबाद पहुंचकर -

Monday, 4 June 2012

बाँह पकड़ कर सीधा करती, याद जो आता नाना होता-

चूल्हा-चौका कपट-कुपोषण, 
 मासिक धर्म निभाना होता ।
बीजारोपण दोषारोपण, 
अपना रक्त बहाना होता ।।

नियमित मासिक चक्र बना है, 
दर्द नारियों का आभूषण -
संतानों का पालन-पोषण, 
अपना दुग्ध पिलाना होता ।।

धीरज दया सहनशक्ती में, 
सदा जीतती हम तुमसे हैं -
जीवन हम सा पाते तो तुम , 
तेरा अता-पता ना होता  ।।

सदा भांजना, धौंस ज़माना, 
बेमतलब धमकाना होता ।
बाँह पकड़ कर सीधा करती-
याद जो आता नाना होता ।।