| व्यापारी है मीडिया, सदा देखता स्वार्थ । 
विज्ञापन मछली बड़ी, आँख देखता पार्थ । आँख देखता पार्थ, अर्थ में दीवाना है । 
रहे बेंचता दर्द, मर्ज से अनजाना है । 
 सकारात्मक त्याज्य, लगे खुब जोर मिर्चियाँ ।। | 
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 चर्चा करने के लिए, कमर्शियल ले ब्रेक । 
अपनी मर्जी थोपते, एंकर कुछ कुछ क्रेक । 
एंकर कुछ कुछ क्रेक, साथ में सेलिब्रिटी भी । 
मन-गढ़ंत आरोप, चिढ़ाती काली जीभी । 
गर चर्चा का दौर, रखो विज्ञापन बाहर । 
करिए इस पर गौर, मीडिया रविकर सादर ।।  | 
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 हाय हाय रे मीडिया,  देश-देश का भक्त । 
टी आर पी की दौड़ सह, विज्ञापन आसक्त ।  
 विज्ञापन आसक्त, आज तक पूजा बेदी । 
बलि बेदी पर शीश, मस्त है घर का भेदी । 
लगा दिया आरोप, विपक्षी भड़काते हैं ।सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त देखो आते हैं ।। | 
 
 
हाय रे मीडिया ....... उम्दा प्रस्तुति !
ReplyDeleteप्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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