Sunday 19 January 2014

*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ-


चिंदी-चिंदी तन-बदन, पांच मरे इक साथ । 
*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ ॥ 
*अजगर 

हिंदी हुई अनाथ, असम-पथ ऊबड़-खाबड़ । 
है सत्ता कमजोर, धूर्त आतंकी धाकड़ । 

हिंदी-भाषी पाय, बना माथे पर बिंदी । 
अपने रहे निकाल, यहाँ हिंदी की चिंदी ।।  

2 comments: