इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार । 
 शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार । 
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां । 
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ । 
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी । 
कर पाए ना घात,  पड़े भारी इक नारी ।।  
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 शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड । 
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद । 
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले । 
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले । 
 सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी । 
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।।  
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इसलिए यह अंधेरगर्दी आज है,
ReplyDeleteक्योंकि ये पुरुष प्रधान समाज है !
प्रभावशाली !!
ReplyDeleteशुभकामना !!
आर्यावर्त शुभकामना !!
दोनों कुण्डलियाँ बहत बढ़िया रहीं!
ReplyDeleteमानव मन को झकझोरती कुण्डलियाँ !!
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