सम्बन्धों की श्रृंखला, निर्विकार - निष्काम |
जननी सम भगिनी दिखे, भर-जीवन अविराम ||
बहना के जियरा बसे, नेह परम-उत्ताल |
भाई स्वारथ में पड़े, दूर होय हर साल ||
करुणामयी पुकार पर, धाये भैया हर्ष |
हर बहना महफूज हो, सामाजिक-उत्कर्ष ||
जीजाबाई मातु की, जसुमति पन्ना धाय |
लक्ष्मी दुर्गावती की, महिमा गाय अघाय |
लोकगीत में है भरा, भाई-बहना प्यार |
पर आदर्शों की कमी, रहा झेल संसार ||
जीजाबाई मातु की, जसुमति पन्ना धाय |
लक्ष्मी दुर्गावती की, महिमा गाय अघाय |
लोकगीत में है भरा, भाई-बहना प्यार |
पर आदर्शों की कमी, रहा झेल संसार ||
अनदेखी भारी पड़े, पाप - कर्म से बाज |
भ्रूण प्रौढ़ तक पोसिये, माँ मत भूल समाज ||
कुण्डली
राम-लखन की शान्ता, भूले तुलसीदास |
बहनों के बलिदान को, भूला यह इतिहास |
भूला यह इतिहास, नहीं आकर्षण दिखता |
भूला यह इतिहास, नहीं आकर्षण दिखता |
पावन प्यार-दुलार, ग्रन्थ न कोई लिखता |
कह रविकर अफ़सोस, बहन को नहीं जानता |
रखो याद हे राम, लखन की बहन शान्ता ||