Saturday, 31 March 2012

ममता बाढ़ी बंग, तंग सो सोनी मोहन

मोहन के बापू मियाँ, कहाँ हाथ से तंग ।।


मिले  नसीहत  नियमत:, हाव-भाव के संग।


 हाव-भाव के संग, जरा सी गिरवी लाठी ।

 मुश्किल में कुछ सूत्र, सड़ी चरखे संग *माठी ।



दिल थोडा मासूम, करें मंत्री आरोहन ।


ममता बाढ़ी बंग, तंग सो सोनी मोहन ।


*कपास की प्रकार  

Tuesday, 27 March 2012

तिनके तनिक उबार, डूबते हुवे हौसले -

 नन्हे सुमन
बाबा को प्यारा लगे, मूल से ज्यादा सूद ।
एह्सासें फिर से वही, बालक रूप वजूद ।

 बालक रूप वजूद, मिली मन बाल सुन्दरी
संस्कार मजबूत, चढाते लाल चूनरी ।

मेला सर्कस देख,  चाट भी जमके चाबा ।
करें खटीमा मौज, साथ में दादी बाबा ।।

  रश्मि प्रभा...   वटवृक्ष पर   

नहीं  घोंसले में  लगा, मन को होता क्षोभ ।
तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।   

या सजने का लोभ, नीड़ की भीड़ गुमाए ।
जीवन का अस्तित्व, व्यर्थ ऐसे भी जाए ।

तिनके तनिक उबार,  डूबते  हुवे  हौसले  ।
तिनके तिनके साथ, खोज तू  नहीं घोंसले ।।

Sunday, 25 March 2012

पढ़ा लिखा भूगोल, देखता दिन में तारे -



भायी दीक्षित बुद्धि की, रचना हमें अपार ।

जोड़-गाँठ करते चला, मानव बारम्बार ।



मानव बारम्बार, भूलता छक्का-पंजा ।

ज्ञान भला विज्ञान, कसे हर रोज शिकंजा |


पढ़ा लिखा भूगोल, देखता दिन में तारे ।

तर्क-शास्त्र मजबूत, बाल की खाल उतारे । 

Saturday, 24 March 2012

ताजमहल बनवाय, करो भैया निपटारा -

आरा,जागरण संवाददाता: करीब 18 सालों से भोजपुर पुलिस की फाइलों में मृत एक महिला शुक्रवार को अचानक जिंदा मिली। आरोपियों की सूचना पर खुद पुलिस ने महिला को बरामद किया। बाद में उसे कोर्ट के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया। अगर पुलिस की मानें तो इस कांड में नये सिरे से अनुसंधान के लिए माननीय न्यायालय से अनुमति मांगी जायेगी। ताकि बेगुनाहों को न्याय मिल सके।
भागी थी इक प्रेमिका, शाहजहाँ परवीन ।
जिसकी हत्या की खबर, लेती खुशियाँ छीन ।

लेती खुशियाँ छीन, फँसा परिवार बिचारा ।
कुल अट्ठारह वर्ष, भोगता दुर्गम कारा ।

उसको जिन्दा पाय, चढ़ा सिस्टम पर पारा ।
ताजमहल बनवाय, करो भैया निपटारा ।। 

Friday, 23 March 2012

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-

सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं । 

करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना 
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।

सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे 
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।। 

दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक 

Thursday, 22 March 2012

राज गुरू सिरमौर, राज से हारे हारे-


Bhagat-Singh-Sukhdev-Rajguru
 ताजम-ताजा मामला, जाती पब्लिक भूल ।
बात पुरानी हो गई, अब क्या देना तूल । 

अब क्या देना तूल, भगत सुखदेव विचारे ।
राज गुरू सिरमौर, राज से हारे हारे ।

डंका कुल संसार, शहीदे आजम बाजा । 
ये पब्लिक सरकार, भूलते ताजम-ताजा । 

Wednesday, 21 March 2012

आई ना अलसाय, आईना क्यूँकर तोड़े-

दिल के जोड़े से कहाँ, कृपण करेज जुड़ाय ।
सौ फीसद हो मामला, जाकर तभी अघाय । 
Kate Winslet for St. John Spring 2012 Ad Campaign
जाकर तभी अघाय, सीखना जारी रखिये ।
दर्दो-गम आनन्द, मस्त तैयारी रखिये ।
आई ना अलसाय, आईना क्यूँकर तोड़े ।
वह आए अकुलाय, बनेंगे दिल के जोड़े ।।

Tuesday, 20 March 2012

खुद से कर खुद-गर्ज तू , सुधरेंगे हालात-


टट्टू बनी शिकायती, जनता खाए जान ।
धोखे की टट्टी करे, समुचित सकल निदान ।

छोटी छोटी बात पर, मर्मरीक मिमियात ।
भ्रष्ट-घुटाला कालिखें, बड़ी भूलता जात ।
 
*साल साल न सालता, याददाश्त कमजोर ।  
कुण्डा का घड़ियाल अब, कारा रहा अगोर ।
*एक प्रकार की मछली / घाव / गढ़ 

सैकिल से रगड़ी गई, ताकी हाथी दाँत ।
गन्ने सा चूसी गई, फिर से वही जमात ।

झापड़ पहले खा चुकी, कमलनाल का मोह ।
दलदल से बचती फिरी, फँसी अँधेरी खोह ।

रोने से कैसे भरे, तन के गहरे जख्म ।
दवा दुआ कर ले भले, जख्म होयंगे ख़त्म ।

गिरेबान में झांक कर, कर सुधार शुरुवात ।
खुद से कर खुद-गर्ज तू , सुधरेंगे हालात ।।  

Sunday, 18 March 2012

हुवे समर्थक पाँच सौ, दिव्या दिव्य कमाल ।

My Photo
हुवे समर्थक छह शतक , दिव्या दिव्य कमाल । 
बढे चढ़े उत्साह नित, जियो जील के जाल ।

जियो जील के जाल, गजल का शायर बोलो ।
है रचना उत्कृष्ट, हास्य पर कुछ दिन डोलो  ।

होय ईर्ष्या मोय, बताओ औषधि डाक्टर ।
शतक समर्थक पूर,  करे कैसे यह रविकर ।।

Saturday, 17 March 2012

घातक ज्वर का वार, गार्जियन हुआ बावला-


 पूरब से आती खबर, करे कलेजा चाक ।
शूर्पनखा सरकार की, कटी हमेशा नाक ।  
 
कटी हमेशा नाक, करे न ठोस फैसला ।
घातक ज्वर का वार, गार्जियन हुआ बावला ।
 
सूझे नहीं उपाय, रही संतानें खाती ।
मारे है तड़पाय, खबर पूरब से आती ।

Friday, 16 March 2012

अब तो कुंडा राज, फतह नहले-दहले की-


अखिल विश्व में गूंजता, जब बरबंडी घोष ।
यू पी की बिगड़ी दशा, पर करते क्यूँ रोष ।

पर करते क्यूँ रोष, डूबती सदा तराई ।
नब्बे हैं बरबाद, करें दस यही पिटाई ।
 
डी पी यादव केस, इलेक्शन के पहले की ।
अब तो कुंडा राज, फतह नहले-दहले की ।।

Thursday, 15 March 2012

सर मनसर कैलास, बही है गंगा धारा --

कैलाश जी को बधाई
 
 
 
बंजारा चलता गया, सौ पोस्टों के पार ।
प्रेम पूर्वक सींच के, देता ख़ुशी अपार ।

देता ख़ुशी अपार, पोस्ट तो ग्राम बन गए ।
पा जीवन का सार, ग्राम सुखधाम बन गए ।

सर मनसर कैलास, बही है गंगा धारा ।
पग पग चलता जाय, विज्ञ सज्जन बंजारा ।

Tuesday, 13 March 2012

बैठे भाजप चील, मार न जांय झपट्टा-

उत्तराखंड की परिस्थिति पर
शास्त्री जी के सटीक दोहे  
और 
मेरी कुंडली 
सत्य कटुक कटु सत्य हो, गुरुवर कहे धड़ाक।
दल-दल में दलकन बढ़ी, दल-दलपति दस ताक।

दल-दलपति दस ताक, जमी दलदार मलाई ।
सभी घुसेड़ें नाक, लगे है पूरी खाई ।
 
खाई कुआँ बराय, करो मैया ना खट्टा ।
बैठे भाजप चील, मार न जांय झपट्टा ।। 

"दोहे-दल-दल में सरकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


देवभूमि में आ गया, खण्डित जन आदेश।
गुटबन्दी में फँस गया, सत्ता का परिवेश।१।

बिकने को तैयार हैं, प्रत्याशी आजाद।
लोकतन्त्र का हो रहा, रूप यहाँ बरबाद।२।

जोड़-तोड़ होने लगी, खिसक रहा आधार।
जनपथ के आदेश की, हुई करारी हार।३।

चलने से पहले फँसी, दल-दल में सरकार।
दर्जन भर बीमार हैं, लेकिन एक अनार।४।


Saturday, 10 March 2012

चलो एकला, आया था जस, सबकी नैया लगी किनारे -

न पढ़ें कविता समझकर 

झेल अकेले खेल प्रभू  के, 
रेल ले गई अपने सारे ।
बेटा तो परदेश कमाता, 
पहले शेखी सदा बघारे ।।

होली में तनु-मनु का आना, 
झाँसी-झाँसा लक-लखनौआ
माँ को अपने साथ ले गई, 
भटके तन-मन द्वारे द्वारे ।।  

चलो एकला, आया था जस,
सबकी नैया लगी किनारे ।
सपने जीते बना कैरियर, 
रविकर तनहा हारे हारे ।।

Friday, 9 March 2012

मस्त गए दिन चार, चुनावी चर्चा होली

खाम-खुमारी कान धर, धर नीचे हथियार । 
उतर उड़नछू भाग अब, मस्त गए दिन चार ।

मस्त गए दिन चार, चुनावी चर्चा होली ।
छह छह पैग उतार, भाँग की खा खा गोली।

घर भर सब तैयार, करें तैयारी भारी  ।
भूला पिछली मार, यादकर खाम-खुमारी ।। 

Tuesday, 6 March 2012

नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना

टुन्ना में फल न लगे, आये मंजर खूब ।
पाला से पाला पड़ा, गए ख़ास सब ड़ूब । 
गए ख़ास सब ड़ूब, आम का झंडा फहरा ।
ख़ास बिके नक्खास, छुपाते घूमें चेहरा ।
नानी नातिन नात, घूमते मुन्नी-मुन्ना ।
गले अमेठी हार, छूछ हाले है टुन्ना ।।
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Sunday, 4 March 2012

जब मुँह पर फूल बसन्त --

बुरा न मानो होली है --
मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
पापड बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbLdmy0uDvCVTKlw03tdejlmiAsDNYRISz_CMDhoM0uQrgPoTwYM9Mz0DVfFx53iluEfLNpVWnLAEna3CmqBrTrUohGZ_cN4Uffu7hQ4Rj5ikNccPcKRoGL6lxW5iD-H8aoyKxZm7IKV4/s1600/100_4500.JPG
मालपुआ गुझिया मिली, मजेदार मधु स्वादु ।
स्वादु-धन्वा मन विकल, गुझरौटी कर जादु ।।
मन के लड्डू मन रहे,  लाल-पेर हो जाय ।
रंग बदलती आशिकी, झूठ सफ़ेद बनाय ।
भाँग खाय बौराय के,  खेलें सन्त-महन्त ।
नशा उतरते ही खिला, मुँह पर फूल बसन्त ।।
Rangoli design with diya in centre
होरा = चना का झाड़
उरसिला = चौड़ी छाती 
गुझिया = एक प्रकार की मिठाई 
गुझरौटी= नाभि के पास का भाग 
स्वादु-धन्वा = कामदेव
जब मुँह पर खिला बसन्त = डर जाना 

यह  भी  देखिये  

ताकें गोरी छोरियां--

 दोहे 
शिशिर जाय सिहराय के, आये कन्त बसन्त ।
अंग-अंग घूमे विकल, सेवक स्वामी सन्त ।

Thursday, 1 March 2012

ताकें गोरी छोरियां--

 दोहे 
शिशिर जाय सिहराय के, आये कन्त बसन्त ।
अंग-अंग घूमे विकल, सेवक स्वामी सन्त ।

मादक अमराई मुकुल, बढ़ी आम की चोप ।
अंग-अंग हों तरबतर, गोप गोपियाँ ओप ।।

जड़-चेतन बौरा रहे, खोरी के दो छोर ।
पी पी पगली पीवरी, देती बाँह मरोर ।।

सर्षप पी ली मालती, ली ली लक्त लसोड़ ।
कृष्ण-नाग हित नाचती, सके लाल-सा गोड़ ।।

ओ री हो री होरियां, चौराहों पर साज ।
ताकें गोरी छोरियां, अघी अभय अंदाज ।


कुंडली 

गोरी कोरी क्यूँ रहे, होरी का त्यौहार ।
छोरा छोरी दे कसम, ठुकराए इसरार ।

ठुकराए इसरार, छबीले का यह दुखड़ा ।
फिर पाया न पार, रँगा न गोरी मुखड़ा ।

लेकर रंग पलाश,  करूँ जो जोरा-जोरी ।
डोरी तोड़ तड़ाक,  रूठ जाये ना गोरी ।।