Sunday 8 July 2012

डा।. अनवर विवाद / रविकर क्षमा-प्रार्थी


हाँ साथियों मुझे क्षमा करें।|
मेरी लिखी दो कुंडलियाँ अखाडा बन -गईं ( जिन्हें रचना जी के कहने से हटा दी हैं)
शाहनवाज, रचना,  अनवर दीपक की 20 टिप्पणियां यहीं आई थीं ।
सबसे क्षमा मांग ली है--
आप भी करें -
लीजिये ताज़ी - टिप्पणी -पढ़िए -
  
रचना8 July 2012 04:38
जिस  विवाद  को  आप  ने  घी   डाल  कर  भड़काया  है  उस  पर  कम  से   कम  अपनी  एक  पोस्ट  तो  लगा  ही  देते 


समाज  के  प्रति  , हिन्दू  धर्म  के  प्रति  अपनी  नैतिक  जिम्मेदारी  तो निभा   ही  देते  


मेल  भेज  कर  गलती   स्वीकारते  है  , क्षमा  मांगते   hai 
ब्लॉग   पर   भी   मांग  ही  लेते  ||

धर्म सेक्स हर वाद, मुताबिक खुद को ढाले -

मुश्किल में मौजूदगी, मिस्टर गुट निरपेक्ष |

होती रहती अगलगी, ढल 'नेट' के सापेक्ष |



ढल 'नेट' के सापेक्ष, बड़ा नेट एक बना ले  |

धर्म सेक्स हर वाद, मुताबिक खुद को ढाले |


टल जाएँ संघर्ष, अगर नेट रविकर पक्का |
करें अन्यथा ख़त्म, मार कर धक्का-मुक्का  || 


jis vivaad ko aap ne ghee daal kar bhadkayaa haen us par kam sae kam apni ek post to lagaa hi daetae


samaj kae prati , hindu dharm kae prati apni naetik jimmedari to nibha hi daetae


mail bhej kar galti swikaartae haen , kshmaa mangtaae haen
blog par bhi maang hi laetae
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डा. अनवर का मेल मिला--

आप बुज़ुर्ग हैं और आपकी बात का सम्मान हम पहले से ही करते हैं। सो, रचना
जी का फ़ोटो और उनका नाम पोस्ट से हटा दिया है।।



अब मेरे द्वारा डाला  गया घी देखिये जिसने आग भड़काई --

Posted: 04 Jul 2012 03:28 AM PDT
चर्चा बढ़िया संयमित, झिड़की समझ सुझाव  ।
ब्लॉग-वर्ल्ड की  बेहतरी, नहीं कहीं दुर्भाव ।
नहीं कहीं दुर्भाव,  सभी को बहुत बधाई  ।
शाहनवाज पर नाज,  डाक्टर अनवर भाई ।
रचना जी का विषय, सभी धर्मों की नारी । 
धर्म आस्था-प्राण,  तनिक मांगे हुशियारी ।।

एक धर्म की ख़ास, करे नारी पर रचना

सचिवों ने की गड़बड़ी, खुश कर दित्ता बास ।
ऐसी-तैसी कर गये, एक  धर्म की  ख़ास ।

एक  धर्म की  ख़ास, करे नारी पर रचना ।
माफ़ी लेता माँग,  मगर रचना से बचना |


है सच्चा इंसान, अगर गलती वह माने   |
विषय जाइए भूल, यही कह गए सयाने ||

27 comments:

  1. बढिया प्रस्तुति
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  2. कौन है?
    अच्छी है ।
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  3. http://akhtarkhanakela.blogspot.in/2012/07/blog-post_9433.html

    link bhi daetae
    kam sae kam hindu dharm par aastha rakhnae walae
    kuchh to chaettae
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    1. रचना जी! वहाँ तो वन वे ट्रैफ़िक है। किया धमाका और भाग लिये। यह तो इनकी पुरानी आदत है।
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    2. कौशलेन्द्र जी, यही वह लोग हैं जो धमाका करके कम-से-कम गलती तो मान लेते हैं... वर्ना तो अक्सर ब्लॉग जगत में लोग चोरी और सीना जोरी के तर्ज़ पर अड़े रहने वाले हैं...
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    3. shah nawaz

      koi baat ek baar ki jaaye to galti hotii haen
      baar baar kisi dharm ko apmaanit karnae kae liyae diyae gaye post galti nahin hotii haen

      ab anwar jamal ji blog ki khabrae par usko uchhal rahey haen aur unkae mitr apnae blog par

      yae sab kyaa haen
      chori ko galti kehna gunah haen aur galti aur aadat me fark haen

      maerae upar jo chahae jo likhae par maere desh kanun samvihaan aur dharm par kuchh galat kahegaa to blog par aaptti darj karvaani hi hogi
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    4. इसका एक नमूना यहाँ देखिये, जहाँ अपने ब्लॉग पर कमल कुमार सिंह (नारद ) जी, बिना सबूत के, सुनी सुनाई बातों पर और बिना मामले की तह पर गए पुरे मुस्लिम समाज को ही बल्कि धर्म को गुनाहगार ठहराने की कोशिश करने लगे... और हद तो यह है कि एक मासूम बच्ची के साथ हुई घिनौनी हरकत की आड़ में एक पूरे समाज के लोगो को आतंकित करने और उनके घरों को आग लगाने की घटना का समर्थन कर रहे हैं... केवल इसलिए कि उस समाज के लोगो पर इलज़ाम है... जब कि अभी तक तो वह केवल मुलजिम है, मुजरिम भी नहीं....

      http://kalyugeenarad.blogspot.in/2012/07/blog-post_02.html
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    5. shah nawaaj
      to aap sab ko chahiyae wahaan jaa kar apptii karae
      jo jis khabar ko sahii tarah sae jantaa haen us par aaptti karae

      lekin jo galt ko galt keh rahaa haen usko katghare mae kyun khadaa karna

      baat dharm ki nahin haen baat haen blog par uljalul khabro kae maadhyam sae aapsi dwesh pehlaane gi
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    6. रचना जी, दूसरों की तो नहीं कह सकता लेकिन अख्तर खान अकेला ऐसा नहीं करते हैं.... इसलिए मुझे उनकी मंशा पर शक नहीं है.... और अगर उनके दिल में चोर होता तो वह पोस्ट वोह डीलीट नहीं करते... मैंने खुद उनसे उस पोस्ट को डीलीट करने का अनुरोध करते हुए कमेन्ट किया था, कि अगर आपको अपनी गलती का अहसास हो गया है तो फिर इस पोस्ट को ब्लॉग पर रखने का कोई औचित्य नहीं है...


      बल्कि अभी दो-तीन दिन पहले ही उन्होंने मुस्लिम समाज के खिलाफ भी पोस्ट लगाईं थी.... हालाँकि मुझे उनकी उस पोस्ट पर आपत्ति थी, लेकिन फिर सोचा उन्हें हक है अपना नजरिया रखने का जब तक कि बात तर्क पूर्ण हो ना कि किसी समाज का मज़ाक बनाने अथवा ज़लील करने की नियत से लिखी गयी हो...
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    7. हालाँकि जिस पोस्ट को उन्होंने डीलीट किया उसको डीलीट करने के लिए मैंने इसलिए कहा क्योंकि वह पोस्ट उनके समाज अथवा धर्म के लिए नहीं थी, मेरा मानना है कि या तो हम हर समाज अथवा धर्म में व्याप्त आम बुराई का विरोध करें अथवा केवल अपने समाज की बुराइयों का विरोध करें... वह भी शालीन लफ़्ज़ों में... दूसरों के धर्म पर ऊँगली उठाने को मैं बिलकुल भी सही नहीं मानता हूँ... क्योंकि दुसरे समाज / धर्म कि प्रष्टभूमि की, उनकी सोच की, उसके पीछे के तर्कों की हमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है. और आधी जानकारी में हम अक्सर सही बात नहीं कह पाते है... और यही विवाद का कारण बनती है..
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    8. मैंने आपके विरोध करने का विरोध नहीं किया है.... और ना ही आपके ऊपर कोई टिपण्णी की है... क्योंकि मुझे आपकी मंशा पर शक नहीं है...
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    9. @ रचना जी ! 'ब्लॉग की ख़बरें' ब्लॉग जगत की घटनाओं को सामने लाने का निष्पक्ष हो कर काम करता है. एक खबर को कई जगहों से सामने लाना कोई बुरी बात नहीं है.
      हमारी खबर में लिंक भी दिए गए हैं और आपका नज़रिया भी बिना किसी संपादन के दिया गया है, तब इसमें आपको क्या ऊलजलूल लगा ?
      एक पत्रकार के धर्म को समझेंगी तो ही आप वस्तु-स्थिति समझ पाएंगी.
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  4. बढ़िया प्रस्तुति |
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  5. गलती मनुष्य करता है
    क्षमा इंसान मांगता है ..??
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  6. आपका इशारा समझ गए ... मस्त पढ़ी है हमने भी ...
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  7. है सच्चा इंसान, अगर गलती वह माने |
    विषय जाइए भूल, यही कह गए सयाने ||
    बढ़िया रचना .
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  8. @ "वर्णों का आंटा गूँथ-गूँथ, शब्दों की टिकिया गढ़ता हूँ|
    समय-अग्नि में दहकाकर, मद्धिम-मद्धिम तलता हूँ||
    चढ़ा चासनी भावों की, ये शब्द डुबाता जाता हूँ |
    गरी-चिरोंजी अलंकार से, फिर क्रम वार सजाता हूँ॥"

    हम भी कायल हैं आपकी पाक कला के। स्वाद गज़ब का है..
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  9. अख्तर साहब अपनी पोस्ट डिलीट कर चुके हैं और शायद भास्कर भी अपना लेख वापस ले ले लेकिन कोई उस लेख पर जाकर अपना ऐतराज़ दर्ज तो करे . लेख निम्न है-
    http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/07/blog-post.html
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    1. है सच्चा इंसान, अगर गलती वह माने |
      विषय जाइए भूल, यही कह गए सयाने ||
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    2. blog or print medium do alag cheez haen
      print medium ki galtiyaan wo sudhaar hi daegae jo us maadhyam sa ejudae haen
      ham blog sae judae haen to agar yahaan kuchh galat daekhaegae to aaptti karaegae hi

      print media sae kuchh bhi uthaa kar blog par chipka dena aur wo bhi bina link diyae is par aap ki nazar kyun nahin gayee

      kyaa orijinal post par wo link diyaa gayaa thaaa ???
      kisii ki likhaii ko apnae blog par bina link diyae chhapna chori hotaa haen

      kyaa is prakaar sae kuchh bhi likhnae sae pehlae akhtar khaan ne sochaa thaa ki wo bina link diyae agar kuchh bhi blog par likh daegae to wo chori kehlaataa haen

      kyun nahin wo link usii post me diyaa gayaa

      hamari dohri maansiktaa ki baat karnae sae pehlae kanun ki baat kar lae to behtar hogaa
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    3. @ रचना जी ! ब्लॉगर को टोका जाय और अखबार को छोड़ दिया जाय, यह नीति ठीक नहीं है. ग़लत लगे तो सबको टोको, इसमें अपना पराया मत देखो. हमारा तो यही मानना है और जो हम मानते हैं वही करते हैं.
      मल्टीनेशनल कंपनियों की पूँजी पर आज अखबार और कुछ ब्लॉगर दोनों चल रहे हैं.
      अपने ईमान को भुलाकर ये हमेशा सच के ख़िलाफ़ ही बोलते हैं.

      भास्कर की पोस्ट के नीचे भी पाठकों से उनके विचार मांगे गए हैं. अखतर साहब के लिंक देने के बाद भी कोई उधर न गया ?
      देखते हैं अपनी आपत्ति जताने अब कौन उधर जाता है ?
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    4. manae jis link par apni aaptti darj ki thee us par koi link nahin diyaa thaa mul laekhak kaa naam bhi nahin thaa is liyae maere anusaar wo post blog laekhak ki hui

      dusri post me link diyaa gayaa ab jinko aaptti karni hogi karaegae
      agar mae wo sab jaa kar padhtee hee nahin to mehaj isliyae kyun padhu ki aap chahtey haen

      meri aaptti par aap kaa yae kehna ..लेकिन रचना जी किसी सयाने की बात मानकर भला कहाँ भूलने वाली थीं ?
      उन्होंने लिंक देकर बताया कि इस घटना का सम्बन्ध पत्रकार अख्तर खान अकेला जी से है

      maene yahaan jo link diyaa wo wahii link haen jis par yae post haen
      aap apni bhasha daekhiaye किसी सयाने की बात मानकर भला कहाँ भूलने वाली थीं ?kyaa mae aap ko murkh lagtee hun aur dusrae saayane ???

      aagaey aap likhtae haen
      कुछ हिंदी ब्लॉगर्स ऐसी दोहरी सोच लेकर भी बुद्धिवादी कहलाते हैं.

      yae naa likh kar agar aap akhtar khan akela sae puchchtae ki unhonae dusrae ki post apnae naam sae kyun daali to jyadaa behatar hotaa

      maeraa naam laekar likhna aasaan haen koi baat nahin aap ko khushi miltii haen avshaya likhae
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    5. @ रचना जी ! क्या सयाने की बात मानने वाले मूर्ख होते हैं ?
      लगता है किआपने रविकर फैजाबादी जी का कथन नहीं पढ़ा ?

      है सच्चा इंसान, अगर गलती वह माने |
      विषय जाइए भूल, यही कह गए सयाने ||

      आपने अख्तर खान साहब को सलाह दी कि
      'dusrae kae dharm par jo likhae haen apnae dharm par bhi likhae'
      आपको सलाह देने का या ऐतराज़ करने का पूरा हक़ है. हमें आपके कथन पर कोई ऐतराज़ नहीं है लेकिन हम यह ज़रूर जानना चाहते हैं कि यह अख्तर खान साहब के साथ ही क्यों ?
      क्या ऐसा सिर्फ वही करते हैं या दूसरे ब्लॉगर भी ऐसा ही करते हैं ?

      आपको एक ब्लॉगर का लिंक डा. अयाज़ अहमद साहब की पोस्ट पर शाहनवाज़ जी दे भी चुके हैं. उस पर यह नियम बताने के लिए आप न पहले पहुँचीं और न अब .
      यह पक्षपात क्यों ?
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    6. unkae kament spam sae bahar aanae kaa intezaar karae
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  10. shah nawaaj kae wo kament is blog par bhi they shyaad spam mae haen is liyae mare jawaab dikh rahey haen



5 comments:

  1. यह आपने बहुत बढ़िया काम किया!

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  2. क्षमा माँग कर आप और बड़े हो गये । आघे से घी बचा कर रखना। कहीं डाल के नहीं आना।

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    1. जी |
      वैसे भी घी क्या घास भी डालना बंद कर रक्खा था मैंने |
      इस जाल में नाहक फंस गया एक कुंडली लिखकर ||
      सादर |

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  3. अभी भी सबेरा है,अब तो बड़े बन जाओ और समझदार भी !

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  4. अभी इससे पहले वाला प्रकरण भी डाल दे वो क्यूँ रह गया
    फिर वो मेल भी डाल दे जहां आपने मुझ से संपर्क किया और मुझे बधाई दी की मैने बड़ा अच्छा काम किया " इन के खिलाफ लिख कर " ये भी लिखे की मेल आप ने दी , शाबाशी आप ने दी और इनको आप नहीं जानते हैं , ब्लॉग जगत में नये हैं , ये सब आप ने लिखा
    मैने आप की मेल का महज जवाब दिया और फिर वो भी लिखे की दीपक बाबा ने आप को बताया की कैसे महिला के चित्रों को डाला गया और फिर वो मेल आप ने मुझे फॉरवर्ड कर के मुझ से क्षमा मांगी
    ये सब लिखने के बाद लिखे की मेरे आग्रह पर आप ने वो सब डिलीट कर दिया
    पिक्चर पूरी दिखाये मेरे दोस्त , अधूरी क्यूँ
    और भी बहुत कुछ मेल में था जो आप ने और मैने एक दूसरे से कहा वो सब भी लिख दे
    उनके ब्लॉग पर जा कर आप nice लिखते हैं , लिखे मुझे क़ोई आपत्ति नहीं हैं
    पर मेरा रेफरेंस दे तो पूरे तथ्य के साथ दे अन्यथा ना ही दे
    मेरे नाम की सीढ़ी बना कर पोपुलर होने का फंडा पुराना हैं

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