शिशु-बाल
हँसना रोना छींकना, दुख सुख की अनुभूति |
हँसना रोना छींकना, दुख सुख की अनुभूति |
करे तेज बल बुद्धि की, दैनंदिन आपूर्ति ||
तगड़ा होता फेफड़ा, रोता है तो रोय ।
बच्चे को मत रोकिये, स्वत: शीघ्र चुप होय ||
आँसू बहने दो जरा, भावों को मत रोक |
निर्मल होते दिल नयन, कम हो जाता शोक ||
निर्मल होते दिल नयन, कम हो जाता शोक ||
कान उमेठें गुरू जी, मुख से निकली आह |
बच्चों पर इस बार।
ReplyDeleteबाल अभिव्यक्ति की विधायें हैं ये।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआप कहें तो नीम-निम्बोरी का बढ़िया हैडर आपके लिए बना सकता हूँ!
interesting and innovative...lovely couplets..
ReplyDeleteसुंदर बालमन की अभिव्यक्तियाँ.....
ReplyDeletebeautiful active knowledge to save child knowledge.
ReplyDeleteसुंदर चित्रों के साथ बालपन की सुंदर प्रस्तुति,...बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बहुत रोचक और उपयोगी प्रस्तुति...
ReplyDeleteउपयोगी सलाहें!
ReplyDeleteगिरने से छिल जाय जब, नरम -मुलायम खाल |
ReplyDeleteशांत चित्त सब देखिये, करिए नहीं बवाल ||
नीति परक बाल मनोविज्ञान की बूझ से संसिक्त सूत्रात्मक दोहे .बेहतरीन अंदाज़ .
बहुत ही अच्छी भावमय शब्द रचना ।
ReplyDeleteबहुत बढिया प्रस्तुति,मनभावन सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteWELCOME to--जिन्दगीं--