Sunday 30 September 2012

उलझे अंतरजाल में, दिया दनादन छाप -


चिड़िया  
 चीं-चीं चिड़िया चंचली, चिचियाहट *चितभंग ।
सूर्य अस्तगामी हुआ, रक्त आसमाँ रंग ।
रक्त आसमाँ रंग, साँझ होने को आई |
जंग आज की बन्द, सकाले करे चढ़ाई ।
प्राकृत का है खेल, समय ने सीमा खींची |
भोर लगे अलबेल, मस्त चिड़िया की चीं चीं ।।  
*मतिभ्रम 




होली  
गोरी कोरी नहिं रहे, होरी का त्यौहार ।
छोरा छोरी छिरकना, छिति छीपी छुछ्कार।
छिति छीपी छुछ्कार, छबीले का यह दुखड़ा ।
फिर पाया न पार, रँगा नहिं गोरी मुखड़ा ।
लेकर रंग पलाश,  करे जो जोरा-जोरी ।
डोरी तोड़ तड़ाक,  रूठ नहिं जाए गोरी ।।



प्रेम-मुस्कान  
आती खुशियाँ हैं नहीं, मन मुद्दत मनुहार ।
मुखड़े पर मुस्कान की, है कबसे दरकार ।
है कबसे दरकार, उदासी तन्हाई है ।
सदा जोहता बाट, सँदेशा भिजवाई है ।
सुन रे ऐ नादान, ख़ुशी जमकर इतराती ।
जहाँ प्रेम मुस्कान, वहाँ मैं दौड़ी आती ।।


  अंतरजाल
उलझे अंतरजाल में, दिया दनादन छाप ।
 अध्ययन-चिंतन के बिना, पूरा किया प्रलाप ।
पूरा किया प्रलाप, पूर्ण-मौलिकता छोड़े ।
दृष्टिकोण नहिं साफ़, गजब दौड़ाये घोड़े ।
अश्व-शक्ति से भला, कहीं प्रतिपादन सुलझे ।
कथ्य-शिल्प सामान्य, स्वयं भी दिखते उलझे ।
  

थोड़ी बेईमानी  
 पानी ढोने का करे, जो बन्दा व्यापार ।
भले डूब कर मरे पर, प्यास सके न मार ।
प्यास सके न मार, नदी में बहते जाते ।
क्या खारा जलधार, आज जो अश्क बहाते ?
बन रविकर खुदगर्ज, नहीं कर तू नादानी ।
बढ़ जायेगा मर्ज, जरा सा पी ले पानी ।।


Saturday 29 September 2012

विगत 6-मास के शीर्षक -



कौशल्या *कलिकान, कलेजा कसक **करवरा



 मन्त्र मारती मन्थरा, मारे मर्म महीप ।
स्वार्थ साधती स्वयं से, समद सलूक समीप । 

समद सलूक समीप, सताए सिया सयानी ।
कैकेई का कोप, काइयाँ कपट कहानी ।

कौशल्या *कलिकान, कलेजा कसक **करवरा ।
रावण-बध परिणाम, मारती मन्त्र मन्थरा ।।
*व्यग्र 
*आपातकाल

Friday 28 September 2012

भूले सही उसूल, गलत अनुसरण कराते-

 झूठ-सांच की आग में, झुलसे अंतर रोज |
किन्तु हकीकत न सके, नादाँ अब तक खोज |

नादाँ अब तक खोज, बड़े वादे दावे थे |
राष्ट्र-भक्ति के गीत, सुरों में खुब गावे थे |


दृष्टि-दोष दम फूल, झूल रस्ते में जाते |
भूले सही उसूल, गलत अनुसरण कराते ||

सीख रहा हूँ-


चलो उधर अब चल दो ।
रस्ता जरा  बदल दो ।।

 दुनिया के मसलों का 
हिन्दुस्तानी हल दो ।।

 होली होने को हो ली 
रंग तो फिर भी मल दो ।

 दिखला दी बत्तीसी 
दाढ़ तो अक्कल दो ।।

पित्तर भूखा प्यासा 
थोडा-थोडा जल दो ।।

नाचें जो  वैशाखी-
इतना अब संबल दो ।।

जप-तप कौन करेगा 
हमको सीधा फल दो।।  

सदियां दुःख में बीतीं
एक ख़ुशी का पल दो।

Wednesday 26 September 2012

D.U. Rape: अच्छा होता स्वयं, स्वयं को जरा रोकते-

बुक से किंवा फेसबुक, बुक होती जब डेट ।
धोखे में रख के स्वजन,  कर धोखे से भेंट । 

कर धोखे से भेंट, झोंक में बराबरी की ।
लेवे  डेट लपेट, शरारत करे शरीकी ।

दिखे फेस पर ग्लानि, क्रोध में केस ठोकते ।
अच्छा होता स्वयं, स्वयं को जरा रोकते ।।



 जनसन्देश 04-07-2012 में दो माह पहले 
पैसे उगते पेड़ पर , मनमोहनी ख़याल ।
सहमत दिखते  हैं कई, यूरोपी कंगाल ।

यूरोपी कंगाल, कम्पनी ईस्ट बनी है ।
प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है ।

निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे ।
हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।


Monday 24 September 2012

होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ -

File:SabarimalaRush2010.JPG
मंदिर मठ मस्जिद मचे, भगदड़ हर इक साल ।
मौत-तांडव कर हते, होंय भक्त बेहाल ।

होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ ।
चढ़े चढ़ावा ढेर, गिनें आयोजक रोकड़ ।

रहे प्रशासन मूक, चूक की जिम्मेदारी ।
देते सभी नकार, मुआवजा बटता  भारी ।

हग्गो तो मूतो नहीं, रोक दिया पेशाब -

यह डंडा-धारी करे, सारे काम खराब |
हग्गो तो मूतो नहीं, रोक दिया पेशाब |
 
रोक दिया पेशाब, हटा देता सब खम्भे | 
कोयलांचल ले देख,  देख ले बड़े-अचम्भे |
 
सब-संख्यक को हर्ष, पड़ा डंडे से पाला |
नौ वर्षों से पेड़, नोचते  पैसों वाला ||

एक समाचार


करती केस प्रताड़ना, है तलाक की चाह ।
बहस भिवानी कोर्ट में, पति की नहिं परवाह ।

पति की नहिं परवाह, पचीसों गुटखे गटके ।
छ: हजारही आय, तभी तो पति को खटके ।

तिलमिलाय कह रही, छोड़ मैं सकती पति को।
चाहूँ तुरत तलाक , नहीं छोड़ूं इस लत को ।।

Sunday 23 September 2012

मनी-प्लांट लो लूट, चलो फिर देश चराने-

देश चराने के लिए, पैसे की दरकार ।
पैसे पाने के लिए, अपनी हो सरकार ।

अपनी हो सरकार, नहीं आसान बनाना ।
सब जुगाड़ का खेल, बुला परदेशी नाना ।

नाना नया नकार, निखारे नाम पुराने ।
मनी-प्लांट लो लूट, चलो फिर देश चराने ।।

करती बंटाधार है, बंटी-बबली टीम ।
मर मरीज मौनी मिला, पक्का नीम हकीम ।
पक्का नीम हकीम, कसकता दशक घुटाला ।
ताला मुँह पर जड़ा, खड़ा मुँह बाय दिवाला ।
लूट लूट बस लूट, छूट मक्कारी खाई ।
इक्यानबे हालात, तभी तो पड़े दिखाई ।।

इक्यान्नबे में -

इक्यान्नबे में बाबू जी की बिगड़ी नई दुकान ।
पाँच भाइयों के चक्कर में, हुआ बड़ा नुक्सान ।

चीनी मैदा तेल कोयला, बेसन घी मजदूरी ।
नाड़ू अपनी जेब भर रहे, मोहन करते दान ।
 भट्ठी का कोयला ख़तम, दूरभाष पर बातें -
ख़तम नहीं राजा भैया की, भाभी भी हैरान ।

नौकर चाकर रहे चुराते, अपना हिस्सा खूब-
बूढी मैया मामा के घर, बन जाती मेहमान ।
आखिर डूबी नई दुकनिया, नौ सालों का धोखा 
बाबू जी को पड़ा बेचना, अपना बड़ा मकान ।।

चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक-

 पैसा पा'के  पेड़ पर, रुपया कोल खदान ।
किन्तु उधारीकरण से, चुकता करे लगान ।
चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक ।
जब मजदूर किसान, करेगा मेहनत भरसक ।
पर मण्डी मुहताज, उन्हीं की रहे हमेशा ।
लागत नहीं वसूल, वसूलें वो तो पैसा ।।

Saturday 22 September 2012

नाड़ू अपनी जेब भर रहे, मोहन करते दान -

इक्यान्नबे में बाबू जी की बिगड़ी नई दुकान ।
पाँच भाइयों के चक्कर में, हुआ बड़ा नुक्सान ।

चीनी मैदा तेल कोयला, बेसन घी मजदूरी ।
नाड़ू अपनी जेब भर रहे, मोहन करते दान ।

भट्ठी का कोयला ख़तम, दूरभाष पर बातें -
ख़तम नहीं राजा भैया की, भाभी भी हैरान ।

नौकर चाकर रहे चुराते, अपना हिस्सा खूब-
बूढी मैया मामा के घर, बन जाती मेहमान ।

आखिर डूबी नई दुकनिया, नौ सालों का धोखा 
बाबू जी को पड़ा बेचना, अपना बड़ा मकान ।।


Friday 21 September 2012

चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक-

 पैसा पा'के  पेड़ पर, रुपया कोल खदान ।
किन्तु उधारीकरण से, चुकता करे लगान ।
चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक ।
जब मजदूर किसान, करेगा मेहनत भरसक ।
पर मण्डी मुहताज, उन्हीं की रहे हमेशा ।
लागत नहीं वसूल, वसूलें वो तो पैसा ।।

भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र-

दीदी-दादा तानते, कुर्सी वो मजबूत ।
भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र ।
मोहन रक्षा-सूत्र, सकल यू पी भरमाया ।
जीवन भर बंगाल,  कहीं मुंबई  कमाया ।
एफ़ डी आई, तेल, सिलिंडर काटे कौवा ।
साम्प्रदायिक संघ, हुआ हिंदू ही हौव्वा ।

भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र-

दीदी-दादा तानते, कुर्सी वो मजबूत ।
भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र ।

मोहन रक्षा-सूत्र, सकल यू पी भरमाया ।
जीवन भर बंगाल,  कहीं मुंबई  कमाया ।

एफ़ डी आई, तेल, सिलिंडर काटे कौवा ।
साम्प्रदायिक संघ, हुआ हिंदू ही हौव्वा ।


Thursday 20 September 2012

लगा चून, परचून, मारता डंडी रविकर -

पासन्गे से परेशां, तौले भाजी पाव ।
इक छटाक लेता चुरा, फिर भी नहीं अघाव ।

फिर भी नहीं अघाव, मिलावट करती मण्डी  ।
लगा चून, परचून, मारता रविकर डंडी

 कर के भारत बंद, भगा परदेशी नंगे ।
लेते सारे पक्ष, हटा अब तो पासन्गे ।।

Tuesday 18 September 2012

महाराष्ट्र का राज, राष्ट्र का बनके दुश्मन-

मोहन हन हन हूरता, राजदार हम-राज ।
ऍफ़ डी आई को दिया, आने की आवाज ।

आने की आवाज, कमीशन सोलह आने ।
उत्तर वाले घुसे, वही सारे मरवाने ।

महाराष्ट्र का राज, राष्ट्र का बनके दुश्मन।
रहा कुल्हाड़ी मार, पैर में राजौ-मोहन ।

बहन बहारे *बगर, बहारें भैया ताके-


 (भैया)
ताकें आहत औरतें, होती व्यथित निराश ।
छुपा रहे मुंह मर्द सब, दर्द गर्द एहसास ।
दर्द गर्द एहसास,  कुहांसे से घबराए ।
पिता पड़ा बीमार, खरहरा पूत थमाये ।
 मातु-दुलारा पूत, भेज दी बिटिया नाके ।
बहन बहारे *बगर, बहारें भैया ताके ।।
*बड़े घर के सामने का स्थान 

(इलाज)
 मेंहदी वाले हाथ में, लम्बी झाड़ू थाम ।
हाथ बटा के बाप का, कन्या दे पैगाम ।
कन्या दे पैगाम, पड़े वे ज्वर में माँदे ।
करें सफाई कर्म, *मेट छुट्टियाँ कहाँ दे ।
वे दैनिक मजदूर, गृहस्थी सदा संभाले ।
हाथ डाक्टर-फीस,  हाथ लें मेंहदी वाले ।

(दहेज़)
आठ वर्ष की बालिका, मने बालिका वर्ष ।
पैरों में चप्पल चपल, झाड़ू लगे सहर्ष ।
झाड़ू लगे सहर्ष, भ्रूण जिन्दा बच पाया ।
यही नारि उत्कर्ष, मरत बापू समझाया ।
कर ले जमा दहेज़, जमा कर गर्द फर्श की ।
तेज बदलता दौर, जिन्दगी आठ वर्ष की ।।

(छल)
भोली भाली भली भव, भाग्य भरोसा भूल ।
लम्बी झाड़ू हाथ में, बनता कर्म उसूल ।
बनता कर्म उसूल, तूल न देना भाई ।
ढूँढ समस्या मूल, जीतती क्यूँ  अधमाई ।
खाना पीना मौज, मार दुनिया को गोली ।
मद में नर मशगूल, छले हर सूरत भोली ।। 

( मजबूरी )
कैसा रेल पड़ाव है, कैसा कटु ठहराव ।
'कै' सा डकरे सामने, कूड़ा गर्द जमाव ।
कूड़ा गर्द जमाव, बिगड़ता स्वास्थ्य निरीक्षक ।
कल करवाऊं साफ़, बताया आय अधीक्षक ।
कालू धमकी पाय, जब्त हो जाए पैसा ।
बिटिया देता भेज, करे क्या रोगी ऐसा ?? 

(कानून)
इंस्पेक्टर-हलका कहाँ, हलका है हलकान ।
नहीं उतरता हलक से, संविधान अपमान ।
संविधान अपमान, तान कर लाओ बन्दा ।
है उल्लंघन घोर, डाल कानूनी फंदा ।
यह पढने की उम्र, बना ले भावी बेहतर ।
अपराधी पर केस, ठोंक देता इंस्पेक्टर ।।

Friday 14 September 2012

पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा-रविकर

सुवन सातवाँ सिलिंडर, माया लड़की रूप ।
छूट उड़ी आकाश की, वाणी सुन रे भूप ।

वाणी सुन रे भूप, कंस कंगरसिया मामा।
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा ।

लेगा तेरे प्राण, यही वह पुत्र आठवाँ ।
किचेन देवकी जेल, कहे है सुवन सातवाँ ।।

सिली सिलिंडर सनसनी, मेहरबान मक्कार  |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार
सरकार |

अब प्रचार
सरकार, पुरातन भोजन भूलो |
पाक कला त्यौहार, भूल कर केक कुबूलो |

फास्ट फूड भरमार, तरीके नए सोचिये |
पाई फुर्सत नारि, सतत अब नहीं कोंचिये ||


गैस सिलिंडर चलेगा पूरे दो महीने : है न उपाय-

 दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
पाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा । 
चाय बना इक बार, डालिए  हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।


आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो  ।।

मा मू ली   बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम,  किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट,  बने  मुश्किल  मामूली ।

आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -

चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त । 
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।

तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।

*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।

बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई

बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।

उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।

गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।

Thursday 13 September 2012

फास्ट फूड ब्रेड जैम, किचेन माता जी भूली-

मा मू ली   बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम,  किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट,  बने  मुश्किल  मामूली ।

आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -

चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त । 
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।

तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयला पूरा भाई ।

*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मने *जंगल में मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।

बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई

बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।

उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।

गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।