चलो उधर अब चल दो ।
रस्ता जरा बदल दो ।।
दुनिया के मसलों का
हिन्दुस्तानी हल दो ।।
होली होने को हो ली
रंग तो फिर भी मल दो ।
दिखला दी बत्तीसी
दाढ़ तो अक्कल दो ।।
पित्तर भूखा प्यासा
थोडा-थोडा जल दो ।।
नाचें जो वैशाखी-
इतना अब संबल दो ।।
जप-तप कौन करेगा
हमको सीधा फल दो।।
सदियां दुःख में बीतीं
एक ख़ुशी का पल दो।
दुनिया के मसलों का
ReplyDeleteहिन्दुस्तानी हल दो ।।
कोई हल नहीं मिलने वाला .... खुशी भी स्वयं ही पानी होगी ... कोई नहीं देने वाला ।
बढ़िया रचना
बहुत खूब..
ReplyDeleteशानदार पोस्ट है ,आपके साथ हम भी प्रयासरत हैं |
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (29-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह! बेहतरीन! लाज़वाब!
ReplyDeleteरोज दूसरों के ब्लॉग में ढेरों कमेंट लिखते-लिखते कहीं आपकी यह सुंदर पहचान गुम तो नहीं हो रही!
देवेन्द्र पांडे जी ने मेरे मुंह की बात छीन ली .छोटी बहर की
ReplyDeleteमहा गज़ल है यह
दुनिया के मसलों का
हिन्दुस्तानी हल दो ।।
हिन्दुस्तानी मन को ,
ReplyDeleteभारत का ही मन दो ,
हिन्दुस्तानी वर दो
हिन्दुस्तानी बल दो
अब उनको मत छलने दो ,
ReplyDeleteअपनों की चलने दो .
दुनिया के मसलों का
ReplyDeleteहिन्दुस्तानी हल दो ।।
फेल हो जाना है मतलब !
waah...sidhi bat...binalaglpet ke...
ReplyDeleteजप-तप कौन करेगा
ReplyDeleteहमको सीधा फल दो।।
अच्छी लगी ये बेबाकी | सुंदर प्रस्तुति |
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