पैसा पा'के पेड़ पर, रुपया कोल खदान ।
किन्तु उधारीकरण से, चुकता करे लगान ।
चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक ।
जब मजदूर किसान, करेगा मेहनत भरसक ।
पर मण्डी मुहताज, उन्हीं की रहे हमेशा ।
लागत नहीं वसूल, वसूलें वो तो पैसा ।।
भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र-
दीदी-दादा तानते, कुर्सी वो मजबूत ।
भैया-बहना बांधते, मोहन रक्षा-सूत्र ।
मोहन रक्षा-सूत्र, सकल यू पी भरमाया ।
जीवन भर बंगाल, कहीं मुंबई कमाया ।
एफ़ डी आई, तेल, सिलिंडर काटे कौवा ।
साम्प्रदायिक संघ, हुआ हिंदू ही हौव्वा ।
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