Friday, 2 November 2012

तुम तो भूखी एक दिन, सैंयाँ बारम्बार-




 आभारी है पति-जगत, व्रती-नारि उपकार ।
नतमस्तक हम आज हैं, स्वीकारो उपहार ।।

(महिमा )  
नारीवादी  हस्तियाँ,  होती  क्यूँ  नाराज |
गृह-प्रबंधन इक कला, ताके सदा समाज ||

 मर्द कमाए लाख पण,  करे प्रबंधन-काज |
घर लागे नारी  बिना,  डूबा  हुआ  जहाज  ||
 

 (शुभकामनाएं)
कर करवल करवा सजा,  कर सोलह श्रृंगार |
माँ-गौरी आशीष दे,  सदा बढ़े शुभ प्यार ||
   करवल=काँसा मिली चाँदी
कृष्ण-कार्तिक चौथ की,  महिमा  अपरम्पार |
क्षमा सहित मन की कहूँ,  लागूँ  राज- कुमार ||
Karwa Chauth
(हास-परिहास)
कान्ता कर करवा करे, सालो-भर करवाल |
  सजी कन्त के वास्ते, बदली-बदली  चाल ||
  करवाल=तलवार  
करवा संग करवालिका,  बनी बालिका वीर |
शक्ति  पाय  दुर्गा   बनी,  मनुवा  होय  अधीर ||
करवालिका = छोटी गदा / बेलन जैसी भी हो सकती है क्या ?
 शुक्ल भाद्रपद चौथ का, झूठा लगा कलंक |
सत्य मानकर के रहें,  बेगम सदा सशंक ||

  लिया मराठा राज जस, चौथ नहीं पूर्णांश  |
चौथी से ही चल रहा,  अब क्या लेना चांस ??


परिहास 
जली कटी देती सुना, महीने में दो चार ।
 तुम तो भूखी एक दिन, सैंयाँ बारम्बार ।

सैंयाँ बारम्बार, तुम्हारे व्रत की माया । 
सौ प्रतिशत अति शुद्ध, प्रेम-विश्वास समाया ।

रविकर फांके खीज, गालियाँ भूख-लटी दे । 
कैसे मांगे दम्भ, रोटियां जली कटी दे ।।

6 comments:

  1. शुभकामनाएं,हास-परिहास,परिहास तीनों बहुत मजेदार और उम्दा है।

    आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!

    http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

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  2. बहुत बढ़िया ,
    तारीफ़ों के पुल बाँधे और सुना गये सरकार !

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  3. की है चंदा ने सदा , पूरी सबकी चाह
    निर्मल निश्छल प्रेम का,बनकर रहा गवाह
    बनकर रहा गवाह ,तभी तो पूजा जाता
    बचपन से वृद्धावस्था तक साथ निभाता
    पर्वों की सौगात , हमें चंदा ने दी है
    पूरी सबकी चाह , सदा चंदा ने की है ||

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  4. :) बढ़िया रचनाएँ..ख़ासकर अंतिम वाली !:))
    हार्दिक शुभकामनाएँ !
    ~सादर !

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  5. परिहास
    जली कटी देती सुना, महीने में दो चार ।
    तुम तो भूखी एक दिन, सैंयाँ बारम्बार ।
    सैंयाँ बारम्बार, तुम्हारे व्रत की माया ।
    सौ प्रतिशत अति शुद्ध, प्रेम-विश्वास समाया ।
    रविकर फांके खीज, गालियाँ भूख-लटी दे ।
    कैसे मांगे दम्भ, रोटियां जली कटी दे ।।
    *******************************
    सइयाँ इंगलिश बार में, मजे लूटकर आयँ
    छोटी-छोटी बात पर ,सजनी से लड़ जायँ
    सजनी से लड़ जायँ ,कहे हैं जली रोटियाँ
    आलू का बस झोल, कहाँ हैं तली बोटियाँ
    जब सजनी गुर्राय,लपक कर पड़ते पइयाँ
    मजे लूटकर आयँ, इंगलिश बार से सइयाँ |

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