Thursday, 22 November 2012
रहता काशी ताक, कभी नहिं ताके काबा -रविकर
बाबा बड़का तोपची, बप्पा तीरंदाज ।
मार सका नहिं मेंढकी, चला गिराने गाज ।
चला गिराने गाज, गलत होता अंदाजा ।
समझा जिसको साज, बजा जाये वो बाजा ।
रहता काशी ताक, कभी नहिं ताके काबा ।
संस्कार कमजोर, भरे भीषण भय बाबा ।।
1 comment:
travel ufo
23 November 2012 at 22:07
बढिया रचना
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