Tuesday, 27 November 2012

रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-




 रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग |
रहे गुलाबी ख़ुशी मन, हो सफ़ेद जब दंग |

हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी |
झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी |

सुबह क्रोध से लाल, शाम पीला हो डरकर |
 है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर ||

गुरूजी के साथ  

अविनाश वाचस्पति  और संतोष त्रिवेदी के साथ 

1 comment:

  1. जो खुद के साथ मजाक कर लेता है ज़िंदा दिल वही होता है

    देखो रविकर भाई को खुद से करे मज़ाक ,.

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