ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
राजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त | मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा | बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा | धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर | दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर - |
पैरों पर होना खड़े, सीखो सखी जरुर-
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रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-
रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग |
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मोदी को करके खफा, योगी को नाराज ।
घर से बाहर "जेठ" कर, चली बचाने लाज ।
चली बचाने लाज, केजरी देवर प्यारा ।
चूमा-चाटी नाज, बदन जब नगन उघारा ।
हुई फेल सब सोच, बिठा नहिं पाई गोदी ।
बचे हुवे अति हीन, विरोधी दिखते मोदी ।। |
दिल आप का लगता है ,आज भरा भरा
ReplyDeleteरविकर के ल्ख्मों को ,किसने किया आज हरा!
आप के स्नेह के लिए
आभार !
रविकर जी आप जैसी कुण्डलियाँ लिखने वाले अब बिरले ही बचे हैं...काका हाथरसी जैसी भाषा और सिद्धता है आपकी कुंडलियों में...सभी कुण्डलियाँ एक से बढ़ कर एक हैं...मेरी ढेरों बधाई स्वीकारें...एक बात कह दूं आप अच्छे ब्लोगर्स के बारे में भी तो लिखिए...खराबों की माना बहुलता है लेकिन अच्छे भी इक्का दुक्का तो हैं हीं...जैसे एक आप और एक मैं....हा हा हा हा हा
ReplyDeleteरविकर जी, नहीं मालूम की आपने किस परिपेक्ष में पहला दोहा लिखा, मगर मैं थोडा अलग अंदाज में कहूंगा;
ReplyDeleteखोदी खादी पोश लुटेरों ने,भ्रष्टाचार की खान,
राजग,यूपीए का इसीलिए करो सब गुणगान !
करो सब गुणगान, भ्रष्टो की शठ,कुटिलाई का
जन-जन जागृत हो, है यह काम भलाई का !!
ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
ReplyDeleteराजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त |
मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा |
बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा |
धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर |
दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर -
कटखने (कुत्ते ब्लॉगर ),पेड़ होते हैं भैया बड़े उपकारी भैया .
ReplyDeleteनेताओं के ढंग सब ,लड़ो केजरी संग ,
जीत दोनों की होगी ,
प्रीत ऐसे ही होगी .