Sunday, 26 February 2017

भली करेंगे राम, भाग्य की चाभी थामे-


ताले की दो कुंजिका, कर्म भाग्य दो नाम।
कर्म कुंजिका तू लगा, भली करेंगे राम।
भली करेंगे राम, भाग्य की चाभी थामे।
निश्चय ही हो जाय, सफलता तेरे नामे।
तू कर सतत प्रयास, कहाँ प्रभु रुकने वाले।
भाग्य कुंजिका डाल, कभी भी खोलें ताले।।

9 comments:

  1. दिनांक 28/02/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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  2. कर्म को महत्त्व देते भाव ... बहुत सुन्दर ...

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  3. Wah !!sunder bhav .karm ka mahtva acchi tarah samjhaya hai aapne . Badhai ....

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

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  5. बहुत ही उम्दा | बहुत समय बाद लेखन और ब्लॉग जगत में अपनी उपस्थिति दे रहा हूँ |मेरी ब्लॉग पोस्ट पर आपकी टिप्पणी और सुझाव का अभिलाषी हूँ |

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  6. ताले की कुंजिका्
    कर्म औऱ भाग्य
    वाह !!क्या कहने....
    अति सुन्दर

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