Saturday, 18 February 2017
हास्य-व्यंग्य सुंदर विधा, रचे प्रभावी छंद
इंसानी छलछंद को, करते अक्सर मंद।
हास्य-व्यंग्य सुंदर विधा, रचे प्रभावी छंद।
रचे प्रभावी छंद, खोट पर चोट करे है।
प्रवचन कीर्तन सूक्ति, भजन संदेश भरें हैं।
सुने-गुने धर-ध्यान, नहीं है रविकर सानी।
किन्तु दृष्टिगत भेद, दिखे फितरत इंसानी।।
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
21 February 2017 at 04:40
सुन्दर।
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सुन्दर।
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