Monday, 6 February 2017
कह रविकर कविराय, करा लो बढ़िया स्वागत
अभ्यागत गतिमान यदि, दुर्गति से बच जाय।
दुख झेले वह अन्यथा, पिये अश्रु गम खाय।
पिये अश्रु गम खाय, अतिथि देवो भव माना।
लेकिन दो दिन बाद, मारती दुनिया ताना।
कह रविकर कविराय, करा लो बढ़िया स्वागत।
शीघ्र ठिकाना छोड़, बढ़ो आगे अभ्यागत।।
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
6 February 2017 at 20:49
बढ़िया ।
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बढ़िया ।
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