Monday 31 December 2012

मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल- रविकर


नए वर्ष में शपथ, मरे नहीं मित्र दामिनी-



 दाम, दामिनी दमन, दम, दंगा दपु दामाद ।
दरबारी दरवेश दुर, दुर्जन जिंदाबाद ।
दुर्जन जिंदाबाद, अनर्गल भाषण-बाजी ।
कर शब्दों से रेप, स्वयंभू बनते गाजी ।
बारह, बारह बजा, बीतती जाय यामिनी । 
नए वर्ष में शपथ, मरे नहीं मित्र दामिनी ।। 




विनम्र श्रद्धांजलि 

ताड़ो नीयत दुष्ट की,  पहचानो पशु-व्याल |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |


रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे
 बनकर सच्चा मित्र,
हिफाजत करना सीखे ||


एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||

Wednesday 5 December 2012

बिचौलिया भरमार, ख़त्म कर रहे दलाली-




होंगे ख़त्म बिचौलिया, भरे माल में माल ।
खेतिहर मालामाल हो, ग्राहक भी खुशहाल ।
 
 ग्राहक भी खुशहाल, मिले मामा परदेशी ।
ईस्ट-इंडिया काल, लूट करते क्या वेशी ?

रविकर बड़े दलाल, बटोरेंगे अब ठोंगे ।
दस करोड़ बदहाल, आप भी इनमें होंगे ।।


ऍफ़ डी आई बन रही, इन सब की हत्यार ।
ग्राम नगर संसद सड़क, बिचौलिया भरमार ।
 
बिचौलिया भरमार, ख़त्म कर रहे दलाली ।
दस करोड़ तक लोग, भाड़ झोकेंगे खाली  ।

भारत के नागरिक, नहीं क्या ये हैं भाई । 
जीवन का आधार, मिटाती ऍफ़ डी आई ।

Sunday 2 December 2012

दुष्ट-मनों की ग्रन्थियां, लेती सखी टटोल-

केवल आप के लिए  

रविकर *परुषा पथ प्रखर, सत्य-सत्य सब बोल ।
दुष्ट-मनों की ग्रन्थियां, लेती सखी टटोल ।
*काव्य में कठोर शब्दों / कठोर वर्णों  / लम्बे समासों का प्रयोग
 
लेती सखी टटोल, भूलते जो मर्यादा ।
ऐसे मानव ढेर, कटुक-भाषण विष-ज्यादा ।

 
छलनी करें करेज, मगर जब पड़ती खुद पर ।
मांग दया की भीख, समर्पण करते रविकर ।।



Saturday 1 December 2012

अहं पुरुष का तोड़, आज की सीधी धारा -


सोना सोना बबकना, पेपर टिसू मरोड़ । 
 बना नाम आदर्श अब, अहं पुरुष का तोड़ ।



अहं पुरुष का तोड़, आज की सीधी धारा ।
भजते भक्त करोड़, भिगोकर कैसा मारा ।



हैडन कर हर भजन, भरो परसाद भगोना ।
पेपर टिसू अनेक, मांगते मंहगा सोना ।।


Bitter talk , But real talk


परिवर्तन है कुदरती,  बदला देश समाज ।
बदल सकी नहिं कु-प्रथा,  अब तो जाओ बाज ।


 
 अब तो जाओ बाज, नहीं शोषण कर सकते ।
लिए आस्था नाम, पाप सदियों से ढकते ।


 
दो इनको अधिकार, जियें ये अपना जीवन ।
बदलो गन्दी प्रथा, जरुरी है परिवर्तन ।

Friday 30 November 2012

लक्षण शुभ समझो त्रिलघु, गर्दन जंघा लिंग -

 


लक्षण शुभ समझो त्रिलघु, गर्दन जंघा लिंग ।
कहें चिकित्सक पुरा-अद्य, भृंग विराजे सृंग ।।


भोथर भाला भूल जा, पैना शर ही  *पन्य ।
यह लघुत्व *साधन सही, पौरुषता *पर्यन्य । 


पन्य=प्रशंसा करने योग्य
पर्यन्य = बादल की गर्जना



बालिगों के लिए 

भारतीयों का-----सबसे छोटा

Arunesh c dave 
 तीर नुकीले तीर जब, नाविक नहीं अधीर | 
फजीहतें-थुक्का करे, हो तुक्का जब तीर |
 


हो तुक्का जब तीर, परखिये  हाथी देशी|
अफ्रीकन से तेज, रौंदते खेती वेशी  |


छोड़ गधे की बात, बन्द  बेतुकी दलीलें |
पान सुपारी चाप, साधिये तीर नुकीले ||
नाविक = घाव करें गंभीर,  की तरफ इशारा है -
तीर=पास, वाण
चाप=धनुष
सुपारी= - - - -
गधे= - - -  -


  1.  
    अजी इसमें श्लील अश्लील क्या है बात छोटे लाल उर्फ़ पुन्नू की है यहाँ तो लिंग की पूजा होती रही है लिंगायत सम्प्रदाय द्वारा .और शिव लिंग किसका प्रतीक है बोले तो ध्यान से देखिये :योनी में से लिंगोथ्थान (शुद्धता वादी क्षमा करें )बात प्रतीकों की ,उनकी व्याख्या में विविधता की है .
    मर्दों का कोम्प्लेक्स है "छोटे लाल "महिलाओं के लिए प्रेम सर्वोपरि है पुन्नू जी की कद काठी नहीं .हाँ सिर्फ अपना काम निपटने पर, भागने न दें पुन्नू को .

Thursday 29 November 2012

गन्दी, किन्तु चर्चित पोस्ट पर की गई टिप्पणी लिंक नहीं दे रहा हूँ-



   तीर नुकीले तीर जब, नाविक नहीं अधीर | 
फजीहतें-थुक्का करे, तुक्का होवे तीर |
 


तुक्का होवे तीर, परखिये  हाथी देशी|
अफ्रीकन से तेज, रौंदते खेती वेशी  |



छोड़ गधे की बात, बंद बेतुकी दलीलें |
पान सुपारी चाप, साधिये तीर नुकीले ||

नाविक = घाव करें गंभीर,  की तरफ इशारा है -
तीर=पास
चाप=धनुष
सुपारी= - - - -
गधे= - - -  -
 

Wednesday 28 November 2012

दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर -



 ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
राजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त |

मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा |
बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा |

धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर |
दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर -


पैरों पर होना खड़े, सीखो सखी जरुर-

पैरों पर होना खड़े, सीखो सखी जरुर ।
 आये जब आपात तो,  होना मत मजबूर ।
 होना मत मजबूर, सिसकियाँ नहीं सहारा ।
कन्धा क्यूँकर खोज, सँभालो जीवन-धारा ।
समय हुआ विपरीत, भरोसा क्यूँ गैरों पर ?
 खुद से लिखिए जीत, खड़ी हो खुद पैरों पर ।।


रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-

 रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग |
रहे गुलाबी ख़ुशी मन, हो सफ़ेद जब दंग |


हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी |
झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी |

सुबह क्रोध से लाल, शाम पीला हो डरकर |
 है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर ||

 


 मोदी को करके खफा, योगी को नाराज ।
घर से बाहर "जेठ" कर, चली बचाने लाज ।
चली बचाने लाज, केजरी देवर प्यारा ।
चूमा-चाटी नाज, बदन जब नगन उघारा ।
हुई फेल सब सोच, बिठा नहिं पाई गोदी ।
बचे हुवे अति हीन, विरोधी दिखते मोदी ।।


पैरों पर होना खड़े, सीखो सखी जरुर-


पैरों पर होना खड़े, सीखो सखी जरुर ।
 आये जब आपात तो,  होना मत मजबूर ।

 होना मत मजबूर, सिसकियाँ नहीं सहारा ।
कन्धा क्यूँकर खोज, सँभालो जीवन-धारा ।

समय हुआ विपरीत, भरोसा क्यूँ गैरों पर ?
 खुद से लिखिए जीत, खड़ी हो खुद पैरों पर ।।

 

Tuesday 27 November 2012

रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-




 रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग |
रहे गुलाबी ख़ुशी मन, हो सफ़ेद जब दंग |

हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी |
झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी |

सुबह क्रोध से लाल, शाम पीला हो डरकर |
 है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर ||

गुरूजी के साथ  

अविनाश वाचस्पति  और संतोष त्रिवेदी के साथ 

Monday 26 November 2012

मिले सैकड़ों भक्त, लानतें "धिम्मी" भेजी-



अपने मुंह मिट्ठू बनें, मियाँ ढपोरी-शंख ।
करे निखट्टू कोशिशें, काट *बया के पंख ।
*गौरैया जैसा एक चतुर पक्षी  

काट *बया के पंख, खाय नामर्द कलेजी ।
मिले सैकड़ों भक्त, लानतें "धिम्मी" भेजी ।


खड़ा करे संगठन, खरे नहिं देता टपने ।
दिखें सभी में ऐब, धुनेगा खुद सिर अपने ।



2014
 ग्यारह पाती आप है, राजग पाए तीस 
सत्ता को चौंतिस मिले, बाम आदि सब बीस ।

बाम आदि सब बीस, खरे बन्दे हैं बाइस ।
राष्ट्रवाद बत्तीस, शेष उन्मादी साइस ।

सेक्युलर जाए जीत, होंय उसके पौ बारह ।
एक एक से लड़ें,  टूट राजग में ग्यारह ।। 

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते-कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी-

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  2 1 2  2     2 1 2 2     2 1 2 2 

टिप्पणी भी अब नहीं छपती हमारी ।
छापते हम गैर की गाली-गँवारी ।

कक्ष-कागज़ मानते कोरा नहीं अब-
ख़त्म होती क्या गजल की अख्तियारी ।

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते -
कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी |

नाक पर उनके नहीं मक्खी दिखाती-
मक्खियों ने दी बदल अपनी सवारी ।

पोस्ट अच्छी आप की लगती हमें है 
झेल पाता हूँ नहीं ये नागवारी ।

ढूँढ़ लफ्जों को गजल कहना कठिन है-
चल नहीं सकती यहाँ रविकर उधारी ।।




जेल प्रशासन ढीठ, दिखाया बेहद नरमी-


दर्दनाक घटना घटी, मेरा पास पड़ोस ।
दुष्टों की हरकत लटी, था *धैया में रोष ।

था *धैया में रोष, कोसते हम दुष्कर्मी ।

जेल प्रशासन ढीठ, दिखाया बेहद नरमी ।

उठे मदद को हाथ, पीडिता की खातिर अब ।

अपराधी को सजा, मिलेगी ना जाने कब ।।

*धैया ग्राम हमारे कालेज के बगल में ही है जहाँ यह घटना हुई-

Saturday 24 November 2012

नारि धर्म अवहेलना, तुकबंदी बद्जात -



(मिली टिप्पणी का भावानुवाद) 

 मूली हो किस खेत की, क्या रविकर औकात ?
नारि धर्म अवहेलना, तुकबंदी  बद्जात 

तुकबंदी बद्जात, फटाफट छान जलेबी ।
  नाग-कुंडली मार, डरा नहिं बाबा बेबी ।

ब्लॉग-वर्ल्ड अभिजात, हकाले ऊल-जुलूली ।
उटपटांग कुल कथ्य, शिल्प बेहद मामूली ।। 
[jelebi[5].jpg]




 तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब ।
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब ।
ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा ।
सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा ।
जले सवेरे तलक, देहरी रग रग चीखी । 
बवासीर हो जाय, फिरा मुँह मिर्ची तीखी ।।
मिर्ची क्यों होती है इतनी तीखी?
 

Friday 23 November 2012

तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब-रविकर



 तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब ।
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब ।

ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा ।
सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा ।

जले सवेरे तलक, देहरी रग रग चीखी । 
बवासीर हो जाय, फिरा मुँह मिर्ची तीखी ।।
मिर्ची क्यों होती है इतनी तीखी?


नई दिल्ली (पीटीआई) : असम के तेजपुर की भूत जोलोकिया के रूप में मशहूर मिर्ची को टाइम मैगजीन ने अपने ताजा अंक में दुनिया की सबसे तीखी मिर्च बताया है। मैगजीन की कवर स्टोरी में दुनिया भर की पाक संबंधी खूबियों और अनोखी बातों को शामिल किया गया है। मैगजीन के लेख ग्लोबल वॉर्मिंग के मुताबिक, भूत जोलोकिया का तीखापन सिर्फ काली मिर्च से तैयार चिली सॉस में ही मिलता है। मिर्च का तीखापन स्कोवाइल हीट यूनिट (एसएचयू) में मापा जाता है। तेजपुर की इस मिर्च में एसएचयू की मात्रा 10 लाख है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2000 में डिफेंस रिसर्च लैबरटरी तेजपुर ने घोषणा की थी कि उसने विश्व की सबसे तीखी मिर्च की पहचान की है। इससे पहले अमेरिका में विकसित रेड सेविना नामक मिर्च को सबसे तीखी मिर्ची बताया गया था। इसमें एसएचयू की मात्रा 5 लाख 77 हजार आंकी गई थी। इसे कैलिफॉर्निया के एक किसान ने विकसित किया था।

बाबा बड़का तोपची, बप्पा तीरंदाज ।
मार सका नहिं मेंढकी, चला गिराने गाज ।
चला गिराने गाज, गलत होता अंदाजा ।
समझा जिसको साज, बजा जाये वो बाजा ।
रहता काशी ताक, कभी नहिं ताके काबा ।
संस्कार कमजोर, भरे भीषण भय बाबा ।।

ठोकर लग जाये अगर, देते मिटा पहाड़ |
अपनी कुटिया के लिए, जंगल रहे उजाड़ | 
 जंगल रहे उजाड़, स्वार्थ में होकर अंधे |
गर्त-धरा-नभ फाड़, करे नित काले धंधे |
 ललित-चैत्य में लंठ, शिल्पशाला में पत्थर |
भवनों में मक्कार, मारते चलते ठोकर || 


फैलाए आँखे कुटिल, बाबा से कर भेंट
सदा पिनक में आलसी, लेता सर्प लपेट ।
लेता सर्प लपेट, समझता खुद को औघड़
पी रविकर का रक्त, करे बेमतलब हुल्लड़
कातिल सनकी मूढ़, पहुँचता बिना बुलाये 
दुराचार नित करे, धर्म का भ्रम फैलाए ।


 शुक्रवार, 16 नवंबर, 2012 को 18:44 IST तक के समाचार
खिम्मी भील
खिम्मी भील और उनके साथ आये अन्य हिंदू किसी कीमत पार पाकिस्तान वापस जाने के लिए तैयार नहीं
खिम्मी भील ने तीन महीने पहले पाकिस्तान से आते वक़्त वचन दिया था कि वो तीर्थ यात्रा पूरी कर के वापस लौटेंगी लेकिन अब वह भारत में ही रहेगी.
राजस्थान की सरकार ने पाकिस्तान से आए 285 पाकिस्तानी हिंदुओं को लंबी अवधि का वीजा देने की सिफ़ारिश की है. अगर उन्हें वीजा मिल गया तो ये हिंदू बेरोक-टोक सात सालों तक भारत में रह सकते हैं और उसके बाद नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं.
हिन्दू पाकिस्तान में, झेल रहे हैं दंश ।
यहाँ मौज में जी रहे, उन के मामा वंश ।
उन के मामा वंश, बना शरणार्थी चाहे ।
यह भारत सरकार, असंभव टैक्स उगाहे ।
दो अनुमति अविलम्ब, शीघ्र निपटा यह बिन्दू ।
माँ की पावन गोद, छोड़ क्यूँ जाए हिन्दू ।।