Monday, 26 November 2012

मिले सैकड़ों भक्त, लानतें "धिम्मी" भेजी-



अपने मुंह मिट्ठू बनें, मियाँ ढपोरी-शंख ।
करे निखट्टू कोशिशें, काट *बया के पंख ।
*गौरैया जैसा एक चतुर पक्षी  

काट *बया के पंख, खाय नामर्द कलेजी ।
मिले सैकड़ों भक्त, लानतें "धिम्मी" भेजी ।


खड़ा करे संगठन, खरे नहिं देता टपने ।
दिखें सभी में ऐब, धुनेगा खुद सिर अपने ।



2014
 ग्यारह पाती आप है, राजग पाए तीस 
सत्ता को चौंतिस मिले, बाम आदि सब बीस ।

बाम आदि सब बीस, खरे बन्दे हैं बाइस ।
राष्ट्रवाद बत्तीस, शेष उन्मादी साइस ।

सेक्युलर जाए जीत, होंय उसके पौ बारह ।
एक एक से लड़ें,  टूट राजग में ग्यारह ।। 

1 comment:


  1. अपने मुंह मिट्ठू बनें, मियाँ ढपोरी-शंख ।
    करे निखट्टू कोशिशें, काट *बया के पंख ।
    *गौरैया जैसा एक चतुर पक्षी

    काट *बया के पंख, खाय नामर्द कलेजी ।
    मिले सैकड़ों भक्त, लानतें "धिम्मी" भेजी ।


    खड़ा करे संगठन, खरे नहिं देता टपने ।
    दिखें सभी में ऐब, धुनेगा खुद सिर अपने ।

    अगली बंदिश का नक् गणित भी गुल खिला सकता है कुंडली तो बेहद मीठी बन पड़ी है बधाई इस गेयता के लिए अर्थ सारता के लिए .

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