सम्बन्धों की श्रृंखला, निर्विकार - निष्काम |
जननी सम भगिनी दिखे, भर-जीवन अविराम ||
बहना के जियरा बसे, नेह परम-उत्ताल |
भाई स्वारथ में पड़े, दूर होय हर साल ||
करुणामयी पुकार पर, धाये भैया हर्ष |
हर बहना महफूज हो, सामाजिक-उत्कर्ष ||
जीजाबाई मातु की, जसुमति पन्ना धाय |
लक्ष्मी दुर्गावती की, महिमा गाय अघाय |
लोकगीत में है भरा, भाई-बहना प्यार |
पर आदर्शों की कमी, रहा झेल संसार ||
जीजाबाई मातु की, जसुमति पन्ना धाय |
लक्ष्मी दुर्गावती की, महिमा गाय अघाय |
लोकगीत में है भरा, भाई-बहना प्यार |
पर आदर्शों की कमी, रहा झेल संसार ||
अनदेखी भारी पड़े, पाप - कर्म से बाज |
भ्रूण प्रौढ़ तक पोसिये, माँ मत भूल समाज ||
कुण्डली
राम-लखन की शान्ता, भूले तुलसीदास |
बहनों के बलिदान को, भूला यह इतिहास |
भूला यह इतिहास, नहीं आकर्षण दिखता |
भूला यह इतिहास, नहीं आकर्षण दिखता |
पावन प्यार-दुलार, ग्रन्थ न कोई लिखता |
कह रविकर अफ़सोस, बहन को नहीं जानता |
रखो याद हे राम, लखन की बहन शान्ता ||
भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteभइयादूज की शुभकामनाएँ!
बहुत ही सुन्दरता से - आपने भाई - बहन के प्यार की जिवंत कर दिए ! बहाना की याद आ गयी ! परसों ही उसने फोन पर इस पर्व की याद दिला दी थी ! बधाई !
ReplyDeleteमेरे blog balaji ko ab naye link पर kholen _
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सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDelete--
कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।
क्या बात है जी , सुन्दर रचना ,बेहतर समन्वय ,....आभार जी /
ReplyDeleteसम्बंधों की मिठास में पगी रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारियों से परिपूर्ण!
ReplyDeleteसभी को शुभकामनाएं!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर...
बहुत ही अच्छी कुंडलियाँ रची है आपने..सुंदर पोस्ट...बधाई
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..आपको शुभकामनायें !!!
ReplyDeleteबहनें तो सब भाइयों का मंगल चाहती हैं उनके लिये कोई ग्रंथ लिखे यह कब चाहा है बहनो ने पर बहिन का एक दिन होता है माँ कहती थी भाई दूज और बहन तीज । शायद भाई दूज के दूसरे दिन या फिर हरियाली तीज ।
ReplyDeleteकुंडलियां जी आपकी लगे एक से एक
हर बार कुछ अलग सी, विषय होय अनेक
विषय होय अनेक, रविकर हो गये गिरिधर
रखी बहन की आन कृष्ण सा भाई बन कर
आपसा भाई पाकर बहने खुशियाँ पायें
ब्लॉग जगत को आप कुंडलियों से जगमगायें ।
गहन अभिव्यक्ति और आप के शोध और ज्ञान वर्धन के लिए आभार
ReplyDeleteभाई बहन का प्यार हमारा गौरव है आभूषण है
भ्रमर ५
कह रविकर अफ़सोस, बहन को नहीं जानता |
रखो याद हे राम, लखन की बहन शान्ता ||
कह रविकर अफ़सोस, बहन को नहीं जानता |
ReplyDeleteरखो याद हे राम, लखन की बहन शान्ता ||
अभिनव प्रसंग , अभिनव मनोहर प्रस्तुति .
अभिनव प्रसंग , अभिनव मनोहर प्रस्तुति .शोध परक दृष्टि .
ReplyDeleteअभिनव प्रसंग , अभिनव मनोहर प्रस्तुति .शोध परक दृष्टि .
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