**ऊंचीं शिक्षा के दिखे, फल कितने प्रतिकूल |
**रिश्ते - नाते भूल के, जीना जाते भूल |
**जीना जाते भूल, हसरतें मातु-पिता की |
**प्रेम-पाश में झूल, देखता राह चिता की |
**दे दे रे औलाद, हमें इकलौती भिक्षा |
**वापस आ जा छोड़, यही गर ऊंचीं शिक्षा ||
वाह क्या बात है बहुत अच्छा
ReplyDeleteनवभारत टाइम्स में--
ReplyDeleteपाठको की राय
गर्लफ्रेंड के इनकार पर आईआईटियन ने दी जान
D C Gupta,'Ravikar',Indian School of Mines Dhanbad,का कहना है:**ऊंचीं शिक्षा के दिखे, फल कितने प्रतिकूल | **रिश्ते - नाते भूल के, जीना जाते भूल | **जीना जाते भूल, हसरतें मातु-पिता की | **प्रेम-पाश में झूल, देखता राह चिता की | **दे दे रे औलाद, हमें इकलौती भिक्षा | **वापस आ जा छोड़, यही गर ऊंचीं शिक्षा ||
19 Oct 2011, 1922 hrs IST
कोई भी उस आत्महन्ता के अलावा किसी को दोष नहीं दे रहा…
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteA very tragic incidence. All I wish is that students must not fall in love at this age, when they hardly know the meaning of love. It's the time to study. The whole life is there for love. One can do that later after being matured enough.
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