Sunday, 30 June 2013

अंधाधुंध विकास, पड़ी प्रायश्चित रोवे-

होवे हृदयाघात यदि, नाड़ी में अवरोध ।
पर नदियाँ बाँधी गईं, बिना यथोचित शोध ।

बिना यथोचित शोध, इड़ा पिंगला सुषुम्ना ।
रहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?

अंधाधुंध विकास, पड़ी प्रायश्चित रोवे ।
भौतिक सुख की ललक, तबाही निश्चित होवे ।।
त्रिसोता = भागीरथी ,अलकनंदा और मन्दाकिनी

बरसाती चेतावनी,  चूक चोचलेबाज |
डूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |

चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |

जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||

15 comments:

  1. कितना सही और कितना दुखद...

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  2. रहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?

    ..कटु सत्य कहा है आपने। आज के अखबार तो और भी कड़ुवा सच बता रहे हैं। जानकारी के बाद भी लापरवाही बरती गई।:(

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    1. बरसाती चेतावनी, चूक चोचलेबाज |
      डूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |
      चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
      गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |
      जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
      इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||

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  3. सटीक प्रस्तुति !आभार।

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  4. रविकर जी .. कितने विज्ञान सम्मत तरीके आपने अपनी बात रखी है .. बेहतरीन कुण्डलियाँ !

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  5. इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||....... गज़ब .. ये पंक्ति तो कमाल कि लिखी है ...

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  6. ..उम्दा प्रस्तुति .आभार मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं #
    आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  7. भौतिक बादीयों सम्हाल जाओ विध्वंस नही लो जग में ,सुन्दर ,अति सुन्दर

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार८ /१ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है।

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  9. बि‍ल्‍कुल सही कहा..

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  10. शुभ प्रभात
    सच ही तो है
    ज्यादती को कोई भी बरदास्त नहीं करता
    फिर प्रकृति क्यों करे.....

    इंद्रा का नाती.. से तात्पर्य
    मैं लगा रही हूँ
    इन्दिरा का नाती
    सच है न भाई...
    सादर

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