काया को देगी जला, देगी मति को मार।
क्रोध दबा के मत रखो, यह तो है अंगार।
यह तो है अंगार, क्रोध यदि बाहर आये।
आ जाये सैलाब, और सुख शान्ति बहाये।
कभी किसी पर क्रोध, अगर रविकर को आया।
सिर पर पानी डाल, बदन पूरा महकाया।।
फेरे पूरे हो गये, खत्म हुआ जब जश्न।
कहो ब्याह का हेतु क्या, दूल्हे से हो प्रश्न।
दूल्हे से हो प्रश्न, किया है मस्ती खातिर।
उत्तर सुनकर बोल पड़ी फिर दुल्हन शातिर।
चढ़ जाये जब ढेर, उतारे कौन सवेरे।
इसीलिए तो आज, लगाये मैनै फेरे।।
एक दोहा
डॉक्टर
सख्त जरूरत है तुम्हे, करो आज आराम।
लो गोली देना खिला, बीबी को इस शाम।।
वाह बहुत सुन्दर।
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