किस्मत में पत्थर पड़े, माथे धड़ दीवाल |
घोटे मदन कमाल, दिवाली जित-जित आवै |
पा जावे पच्चास, दाँव पर एक लगावे |
हार जाए सब दाँव, पड़े किस्मत में पत्थर ||
चौपड़ पर बेगम सजे, राजा बैठ अनेक |
टिप्पण-रुप्पण एक सम, वापस मिली न एक |
वापस मिली न एक, दाँव रथ-हाथी-घोड़े |
थोड़े चतुर सयान, टिपारा बैठे मोड़े |
कह रविकर कविराय, गया राजा का रोकड़ |
जीते सभी गुलाम, हारते रानी-चौपड़ ||
टिपारा=मुकुट के आकार की कलँगीदार टोपी
:):) दीवाली मनाई जा रही है :)
ReplyDeleteबहुत खूब, शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....
ReplyDeleteन सिर्फ़ रचना अच्छी लगी बल्कि चित्र भी लजवाब लगे।
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत वाह!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बहुत बढ़िया.... ताश के खेल का क्या खूब चित्रण किया है....वाह
ReplyDeletepls see www.aclickbysumeet.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत खूब, शुभकामनायें।
ReplyDeleteवाह क्या खुब लिखा है|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
shaandaar prastuti ...Happy Deepawali.
ReplyDelete