नवसंवत्सर की शुभकामनायें -
पारी-पारा मेटिये, रिश्ते नाते ख़ास ।
लेने जो देते नहीं, आजादी से साँस ।
आजादी से साँस, रास आते ना भाई ।
दादा दादी बाप, चचा चाची माँ माई ।
सभी दुखों का मूल, दोस्ती रिश्तेदारी ।
शूटर लिया बुलाय, बाप की दिया सुपारी ।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ ।
ReplyDeleteपतन की चरम अवस्था -आखिर इंसान कितना और गिरेगा!
ReplyDeleteअब बस यही होना बाकी है ....
ReplyDeleteबाप बेटा के रिश्तों को कलंकित करती रचना.
ReplyDeleteआपको नवसंवत्सर की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
पतन की चरम अवस्था,नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ
ReplyDeleteआदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम जय माता दी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया आदरणीय बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteदौलत की हवस में रिश्तों के पतन का चरमोत्कर्ष...
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!
ReplyDeleteसभी दुखों का मूल, दोस्ती रिश्तेदारी ।
ReplyDeleteशूटर लिया बुलाय, बाप की दिया सुपारी ।
धारदार तंज सामाजिक क्षरण पर .
अर्थशास्त्र में महारथी , आधुनिक बेटा
ReplyDeleteहा हा हा हा हा .....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ गुरूजी
ReplyDeleteबड़ी तेज धार वाली रचना
ReplyDeleteजैसा करेगा बाप वैसा भरेगा बाप
ReplyDeleteबेटा आज सुपारी दे रहा है किसी को
कल को खुद मारेगा गोली अगर
तब भी क्या करेगा बाप
जैसा करेगा बाप वैसा भरेगा बाप !